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बड़े-बुजुर्गों-से-अनुभव-ले: साध्वी सिद्धिसुधा

बड़े-बुजुर्गों-से-अनुभव-ले: साध्वी सिद्धिसुधा
चेन्नई. साहुकारपेट स्थित जैन भवन में विराजित साध्वी सिद्धिसुधा ने कहा कि प्रत्येक मनुष्य का जीवन चमकते हीरे जैसा है लेकिन कुछ अपने कर्मो से उसको गंदा कर लेते हैं और कुछ उसकी और कीमत बढ़ा लेते है। आगम का ज्ञान लेते समय मनुष्य को अपने मन, वचन और काया को धो लेना चाहिए।
जैसे मनुष्य ठंडे पानी मे डुबकी लगा कर तन को धोता है उसी प्रकार से आगम के ज्ञान से मन और वचन को धो लेना चाहिए। साध्वी सुविधि ने कहा कि आगम में स्पष्ट है कि सृष्टि का विनास कभी नहीं हो सकता है। बल्कि मनुष्य की जरूरत की चीजो का विनाश होता है।  लेकिन वर्तमान में मनुष्य आगम का नहीं बल्कि साइंस का मान रहा है।
जो सदियों पहले आगम में बताया गया है उसको लोग साइंस के आगे नहीं मान रहे है। लेकिन याद रहे कि मनुष्य को बिना देखे किसी चीज पर यकीन नहीं करना चाहिए। उन्होंने कहा कि आगम में जो कहा गया है उसे झूठा नहीं बनाया जा सकता है। परमात्मा ने अपने आगम में कहा है बिना देखे किसी चीज पर यकीन नहीं करना चाहिए। लेकिन इंसान इसको नहीं मान रहा है।
याद रहे कि आगम के सूत्र में जो कहा गया है वह शत प्रतिशत सच है उसजो झूठा बनाना न संभव है और ना ही होगा। उन्होंने कहा कि प्राचीन काल के बारे में अगर सब कुछ जानना है तो आगम को पूरी तरह से पढ़ लेना चाहिए। आगम में लीन होने वालों को दुनिया के बारे में अच्छे से पता चल जाएगा। दुनिया मे बहुत ऐसे वस्तु और बात है जिन्हें विना देखे मनुष्य को यकीन करना पड़ता है।
अगर आगम में उसकी तलाश की जाए तो उसके बारे में भी मनुष्य को सच पता चल जाएगा। उन्होंने कहा कि वर्तमान में मनुष्य थोड़ा पैसा कमा लेता है तो उसमें अहंकार आ जाता है। लेकिन आगम में जिस चक्रवाती का वर्णन किया गया है उनका जीवन बहुत ही महान था। सब कुछ होने के बाद भी उन्होंने कभी अहंकार नहीं किया।
अगर सही से मनुष्य आगम का अध्यन कर ले तो उसका मन संसार के झूठे मोह माया से खत्म हो जाएगा। उन्होंने कहा कि अहंकार और सांसारिक सुखों को त्याग कर जो धर्म मे ध्यान लगाते हैं उनसे परमात्मा भी खुश रहते हैं। चक्रवती के सेवा में हजारों देवता थे। ऐसे में उनका शिष्य बनने वालो को किसी देवता के पास सिर झुकाने की जरूरत नहीं पड़ेगी।
चक्रवती के पास सब कुछ था पर फिर भी वह बड़ो का आदर करते थे और सलाह लेते थे। लेकिन इंसान थोड़े से धन आने के बाद ही अंधा बन जाता है। जब तक मनुष्य इस अंधेपन से दूर नहीं होगा उसका जीवन नहीं बदल सकता है। जीवन मे अनुभव नहीं होने की वजह से मनुष्य भटकता है। अगर मनुष्य अपने अहंकार को दूर कर बड़े बुजुर्गों से अनुभव ले तो उसको जीवन मे तकलीफ नहीं उठानी पड़ेगी।

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