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ब्रह्मचर्य सबसे बड़ा तप : मुनि श्री कमलकुमार

दीक्षार्थी मुमुक्षु मुकेश भटेवरा का मंगलभावना एवं अभिनन्दन समारोह हुआ आयोजित

आचार्य श्री महाश्रमण जी के आज्ञानुवर्ती उग्रविहारी, तपोमूर्ति मुनि श्री कमलकुमारजी ठाणा 3 के सान्निध्य में दीक्षार्थी मुमुक्षु मुकेश भटेवरा का मंगलभावना एवं अभिनंदन समारोह आचार्य महाश्रमण जैन तेरापंथ पब्लिक स्कूल, माधावरम् में आयोजित हुआ।
  

आध्यात्मिक अनुष्ठान से प्रारम्भ समारोह में जनमेदनी को सम्बोधित करते हुए मुनि श्री कमलकुमार ने कहा कि जैन आगमों में तप का बड़ा महत्व है। ब्रह्मचर्य सबसे बड़ा तप है। जो अपनी आत्मा में रहता है, वह परमानंद को प्राप्त कर सकता है। ब्रह्मचर्य के आगे देवता-दानव भी नतमस्तक हो जाते हैं। श्रावक को व्रतों का पालन करना चाहिए, यह व्यक्ति का सुरक्षा कवच हैं। व्यक्ति अपने मन को वश में करता हैं, तो सभी वश में हो जाते हैं।

व्यक्ति की दृष्टि सम्यक होनी चाहिए। व्यक्ति को ज्ञान, दर्शन, चरित्र का अनुसरण करना चाहिए। न्यायवृत्ति व नीति का सम्यक् आचरण करना चाहिए। वेश के अनुसार अपनी चर्या होनी चाहिए। मुनि श्री ने दीक्षार्थी मुमुक्षु मुकेश भटेवरा को संबोधित करते हुए कहा कि दीक्षा लेकर अपने जीवन को गुरु आज्ञा में समर्पित करना ही सबसे बड़ी साधना है। गुरु मुक्ति मार्ग की ओर ले जाते हैं।
 

मुनि श्री ने गीतिका के माध्यम से कहा कि जीवन सफल बनाना एवं इच्छित मंजिल को प्राप्त करना है तो संयम जीवन को अपनाना होगा। संयम में रमने वाले को देवलोक के समान सुख मिलता है। ज्ञाता दृष्टा भाव बना रहता है। संयम जीवन का पूरा लाभ उठाते हुए अपने लक्ष्य को प्राप्त करें।
 

मुनि श्री नमिकुमारजी एवं मुनि श्री अमनकुमारजी ने कहा गुरु दृष्टि का अनुसरण ही सबसे बड़ी सृष्टि हैं। मजबुत मनोबल से कठिन से कठिन कार्य भी सरल हो जाते हैं। सदा जय विजय होती हैं।
 

छापली निवासी, एम के बी नगर, चेन्नई प्रवासी दीक्षार्थी मुमुक्षु मुकेश भटेवरा ने कहा कि संसार असार हैं। इससे पार पाने के लिए जरूरी है संयम पंथ का आचरण करना। उसी को लक्ष्य बनाकर मैं भी संयम पथ की ओर अग्रसर हो रहा हूँ।
 

श्री जैन श्वेतांबर तेरापंथी सभा अध्यक्ष श्री विमल चिप्पड़ ने स्वागत व्यक्तव्य देते हुए दीक्षार्थी भाई के अभिनंदन पत्र का वाचन करते हुए उनके प्रति मंगलभावना सम्प्रेषित की। सभी तेरापंथी संघीय संस्थाओं की ओर अभिनंदन पत्र भेंट किया गया।
 

आचार्य महाश्रमण तेरापंथ जैन पब्लिक स्कूल के चेयरमैन श्री प्यारेलाल पितलिया, तेरापंथ प्रोफेशनल फोरम के केंद्रीय प्रभारी श्री कमलेश नाहर , श्री जैन श्वेतांबर तेरापंथी ट्रस्ट ट्रिप्लीकेन के मंत्री श्री विजयराज गेलड़ा, जैन तेरापंथ नगर से अशोक बोकडिया, उपासक श्रेणी से श्री जयंतीलाल सुराणा, जैन संस्कारक श्री पदमचन्द आंचलिया, जैन विश्व भारती के ट्रस्टी श्री अमरचन्द जी लुकड़, तेरापंथ महिला मंडल से श्रीमती संगीता आच्छा, तेरापंथ युवक परिषद् के अध्यक्ष श्री रमेश डागा, दीक्षार्थी परिवार से श्रीमती कुसुम भटेवरा, श्रीमती कंचन बाई भटेवरा ने भी अपने-अपने विचार गीतिका, वक्तव्य इत्यादि के माध्यम से व्यक्त किए।
 

सोमवार को बोरावड (राजस्थान) में देवलोकगमन प्राप्त हुए वर्तमान में तेरापंथ धर्मसंघ में दीक्षा पर्याय में सबसे बड़े, वयोवृद्ध शासनश्री मुनि श्री पृथ्वीराज जी स्वामी की स्मृति में चार लोगस्स का ध्यान कर मुनि श्री के प्रति भावाजंलि अर्पित की।
           

स्वरुप चन्द दाँती
प्रचार प्रसार प्रभारी
श्री जैन श्वेताम्बर तेरापंथी सभा, चेन्नई

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