देश के विभिन्न शहरों से श्रद्धालुओं ने धर्मसभा में किया प्रवचन-मांगलिक श्रवण
बेंगलूरु। यहां वीवीपुरम स्थित महावीर धर्मशाला में चातुर्मासार्थ विराजित विश्वविख्यात अनुष्ठान आराधिका-शासनसिंहनी साध्वीश्री डाॅ.कुमुदलताजी ने मंगलवार को अपने दैनिक प्रवचन में ब्रम्हचर्य के महत्व पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि ब्रम्ह का अर्थ है आत्मा। आत्मा की उपलब्धि के लिए किये जाने वाले आचरण को ब्रम्हचर्य कहते हैं।
ब्रम्हचर्य को एक बड़ी एवं उच्च आध्यात्मिक साधना बताते हुए साध्वीश्री ने कहा कि विशुद्ध आध्यात्मिक दृष्टि से संपन्न होकर जीना ही ब्रम्हचर्य है। गुरु दिवाकर केवल कमला वर्षावास समिति के तत्वावधान में डाॅ.कुमुदलताजी ने कहा कि भगवान महावीर ने संतों के लिए चतुर्थ महाव्रत तथा श्रावकों के लिए चतुर्थ अणुव्रत ब्रम्हचर्य को बताया।
उन्होंने 13 अभिग्रह करने वाले तपस्वीरत्न संतश्री वेणीचंदजी की ब्रम्हचर्य की शक्ति का उदाहरण देते हुए एवं एक प्रसंग का उल्लेख करते हुए सांसारिक जीवन में बतौर श्रावक-श्राविका को ब्रम्हचर्य की शक्ति को पहचानने की सीख दी। साध्वीश्री ने कर्मवाद की व्याख्या करते हुए श्रद्धा, आस्था से आराधना करने, संतों की निंदा नहीं करने व जीवन से बुरी आदतों का त्याग करने की प्रेरणा भी दी।
स्वर साम्राज्ञी साध्वीश्री महाप्रज्ञाजी ने ब्रम्हचर्य हमारे जीवन में कैसे आए? विषयक गीतिकाओं के माध्यम से प्रस्तुतियां दी। उन्होंने कहा कि व्यक्ति की सकारात्मक सोच के साथ छोटी सी प्रतिज्ञा, चिंतन, सत्संग एवं संतों का संग जीवन को तब्दील कर देता है। साध्वीश्री डाॅ.पद्मकीर्तिजी ने रिद्धि-सिद्धि एवं शाश्वत सुख की प्राप्ति के सुखविपाक सूत्र का वाचन करते हुए सुभवकुमार के प्रसंग का बखान किया।
उन्होंने कहा कि दुख, परिश्रय, उपसर्ग के रुप में कष्ट तीर्थंकर भगवान व साधु-संतों के जीवन में भी आए, लेकिन उन्होंने उन दुखों को भी सुख मानकर मोक्षमार्ग की ओर अपनी राह को प्रशस्त किया। डाॅ.पद्मकीर्तिजी ने कहा कि जिंदगी सुख-दुख की कहानी है, इसलिए दुख आए तो घबराए नहीं तथा सुख आए तब इतराएं नहीं। मंच पर साध्वीश्री राजकीर्तिजी भी मौजूद थीं।
समिति के महामंत्री चेतन दरड़ा ने बताया कि धर्मसभा में चेन्नई, मुंबई, मेवाड़, चित्तोड़ व गुजरात के अनेक शहरों से श्रद्धालुओं ने शिरकत की। युवा समिति के कोषाध्यक्ष नवीन रांका, मुंबई के पुखराज सोनी, नवल सुराणा ने भी अपने-अपने विचार रखे। आगंतुक अतिथि श्रद्धालुओं का समिति पदाधिकारियों द्वारा सत्कार भी किया गया।
सहमंत्री अशोक रांका ने बताया कि प्रतिदिन आयोजित होने वाली ‘जय जिनेंद्र’ प्रतियोगिता की विजेता विमला बाफना को पुरष्कृत किया गया। सभा का संचालन अशोककुमार गादिया ने किया। साध्वीवृंद ने विभिन्न प्रकार की तपस्या करने वाले श्रद्धालुओं को पच्चखान कराए व समिति द्वारा उनका सम्मान किया गया। मांगलिक डाॅ.कुमुदलताजी ने प्रदान किया।