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बुरी आदतों का त्याग करो

बुरी आदतों का त्याग करो

भाव विशुध्दिका पर्व मनाते हुए साध्वी आगमश्रीजी म सा ने बताया आज का युवक कहां भटक गया हैl जो डूबते हैं गिलासों में वह कभी नहीं उभरते जिंदगानी मेंl हजारों के संसार बदल गए इन बंद बोतलों के पानी में आप आप गुटखा पूरी तंबाकू सिगरेट इनका सेवन करते हो तो यह बात क्या उपयोगी है नहीं है आप उच्च कोटि के होl आपको जैन धर्म में मिला है संतों का समागम मिला है क्यों खाते हो सड़ा हुआ माल सड़ी हुई सुपारीया और कहते हो ऊंचे लोगों की ऊंची पसंदl क्या यह सही में ऊंची पसंद है जो अच्छा जीवन जीते हैं अच्छे संस्कारों का पालन करते हैंl

वह अच्छी पसंद है पुरी खाना यह तो खाओ ना मां के हाथ की पत्नी की हाथी गरमा गरम पूरी खाओl जिससे आपका स्वास्थ्य स्वस्थ रहेगा दिमाग स्वस्थ रहेगा तन भी स्वस्थ रहेगाl किसी को चाय का नशा होता है किसी को बियर का नशा होता हैl कहां है मैं पीता था उसने छुड़ा दी अपनी कसम देकर मैं बैठा था महफिल में उसने पिला दीl उसकी कसम देकर इन बातों से इन दोस्तों से सो हाथ लंबे रहो अगर आपको व्यसनो से इतना प्यार है तो इन वैष्णो से शादी करना था क्यों किसी की जिंदगी बर्बाद कीl

आज हमने पाश्चात्य संस्कृति के संस्कारों का अनुकरण किया है कहां जा रहे हैं व्यसनों में उलझ गएl इनको सुलझने वाला कौन हमारा जैन समाज उच्च कोटि कथा इसका रहन-सहन आचार् विचार आचरण उच्च कोटि का था आज हम साधना कर रहे हैंl आराधना कर रहे हैं क्यों कर रहे हैं हमारा जीवन ऊंचाई की ओर पहुंच जाएl इसलिए ना पार्वती राजपूत मनाते हुए ऐलान किया आओ नौजवानों व्यसनों से मुक्त हो जाओ बहुत से लोगों ने प्रत्याख्यान कियेl साध्वी जी ने बहुत अच्छी तरह से समझाया साध्वी धैर्या श्री जी ने अंतगढ़ सूत्र का वांचन कियाl अर्जुन माली ने कैसे संयम लिया इसका सुंदर विवेचन किया संचालन अशोक की बाटियां जी ने कियाl

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