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बुध हमारी ज्ञान वृद्धि का प्रतीक है – युवाचार्य महेंद्र ऋषि

बुध हमारी ज्ञान वृद्धि का प्रतीक है – युवाचार्य महेंद्र ऋषि

 आठ वार की प्रवचनमाला में बुध की विवेचना

एएमकेएम जैन मेमोरियल सेंटर में विराजित श्रमण संघीय युवाचार्य महेंद्र ऋषिजी ने आठ वार की प्रवचनमाला में कहा कि हमारी भारतीय संस्कृति में प्राचीन संख्या में सात का विशेष महत्व रहा है। योग में चाहे वह पतांजलि हो या सांख्य शास्त्र हो, हमारे शरीर में स्थित सात चक्रों की चर्चा है। मूलाधार से शुरू होकर ये सात चक्र है। इन सात चक्रों के माध्यम से साधक अपनी ऊर्जा को समग्र रूप से कर सकता है, ऐसा योग मंत्र कहता है। स्वर भी सात होते हैं, जो एक लहर का निर्माण करते हैं। इंद्रधनुष को भी सप्तरंगी कहते हैं। हमारी सात वारों की चर्चा चल रही है।‌ इसमें बुध को हम समझें। बुधवार यानी ज्ञान।‌ यह बोध कराने वाला है। यह शब्द ज्ञानार्थक है। इसका एक और अर्थ है गति।‌

उन्होंने कहा आज बच्चों की बुद्धि पूर्ण विकसित नहीं होती। जो अनुभवियों के साथ चलता है, उसकी बुद्धि चलने वाली होती है। आजकल बच्चों का मुवमेंट बिल्कुल बंद हो गया है। वे अन्य चीजों में स्थिर हो जाते हैं। इस कारण स्टोरेज क्षमता कम हो जाती है। हमारे जानने की शक्ति, ज्ञान क्षमता को कैसे बढ़ा सकते हैं। बुधवार शिक्षा और ज्ञान के क्षेत्र में

उत्तम परिणाम प्राप्त करने के लिए माना जाता है। हमारी स्मरण शक्ति बढ़ाने के लिए कोई भी उपाय कर लें लेकिन जानने की, धारणा की शक्ति को बढ़ाना ही पड़ेगा। किसी भी विषय को धारण करने की शक्ति जीरो लेवल पर पहुंच गयी है। हमारा अभ्यास कम होने के कारण यह धारणा शक्ति कम हो गई है। जब आप स्वाध्याय करते हैं तो वह मस्तिष्क की केपेसिटी को बढाती है।

उन्होंने कहा बुध हमारी ज्ञान वृद्धि का प्रतीक है। कुछ चीजों को लिखने का अभ्यास करो और उसको पुनः पढ़ो। यानी हमारी धारणा शक्ति को चलित करना। बुध बुद्धि का स्वामी है। बुद्धि को तेज बनाता है। यह यात्रा करने की प्रेरणा देने वाला है। हमारे जीवन में जो ज्ञान की वृद्धि है, वह धारा को बनाए रखने से होती है। ज्ञान की धारा को निरंतर बनाए रखो। हम निश्चित रूप से बुधवार के द्वारा बुद्धिमता का विकास करें।

उन्होंने साध्वी कौमुदीश्री के देवलोकगमन पर भावांजलि अर्पित करते हुए कहा कि वे हमारे संघ के लिए आदर्श थी। आगे भी उन्हें साधना का मार्ग प्रशस्त हो। इस दौरान पूना, नासिक, इंदौर, सिकंदराबाद, औरंगाबाद, इचलकरणजी, उदयपुर आदि क्षेत्रों से गुरुभक्तगण युवाचार्यश्री के दर्शनार्थ व वंदनार्थ उपस्थित हुए।‌ राकेश विनायकिया ने सभा का संचालन किया।

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