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ज्ञान वाणी

बुद्धि के साथ रहे शुद्धि : आचार्य श्री महाश्रमण

बुद्धि के साथ रहे शुद्धि : आचार्य श्री महाश्रमण

माधावरम् स्थित जैन तेरापंथ नगर के महाश्रमण समवसरण में आचार्य श्री महाश्रमण ने तेरापंथ प्रोफेशनल फोरम के दो दिवसीय 11वें अधिवेशन “हम कितने सौभागी” के उद्घाटन सत्र में श्रद्धालुओं को संबोधित करते हुए कहा कि जहाँ संस्था या संगठन हैं, वहा व्यवस्थाओं की अपेक्षा होती हैं| चाहे साधु समाज हो या श्रावक समाज, व्यवस्था की आवश्यकता होती हैं| संगठन में नेतृत्व न हो, तो वह विनाश की ओर जा सकता है|

संगठन में नेतृत्व को कभी कभी कठोर निर्णय भी लेने पड़ सकते हैं, शल्य – क्रिया भी करनी पड़ सकती हैं, तो कभी कभी प्रोत्साहित भी किया जा सकता हैं| संगठन में मैन पावर हो, कार्यकर्ता शक्ति अच्छी हो, व्यक्तिगत स्वार्थ न हो| टी पी एफ बुद्धिजीवियों की संस्था हैं| बुद्धि के साथ शुद्धि रहे| बुद्धि पर अंकुश रखने के लिए शुद्धि चाहिए| विभिन्न क्षेत्रों की बुद्धियाँ इस मंच पर गुलदस्ते के रूप में केन्द्रित है| तेरापंथ प्रोफेशनल फोरम बुद्धि रूपी फूलों की माला हैं|

ठाणं सुत्र के दूसरे अध्याय का विवेचन करते हुए आचार्य श्री महाश्रमण ने कहा कि उत्तर भाद्रपद नक्षत्र के दो तारे हैं| कुल 27 नक्षत्र हैं| अभिजीत नक्षत्र को मिला कर कुल 28 नक्षत्र हो जाते हैं| नक्षत्रों की अपनी दुनिया हैं| आकाश में अनेक चीजे हैं, उनमें से कुछ दिखाई देती हैं, अनेक चीजे दूर होने के कारण दृष्टिगोचर नहीं होती हैं| सिद्ध शिला का स्थान भी इसी आकाश में है, जहाँ अनन्त – अनन्त सिद्ध आत्माएँ उपर विराजमान है, पर वे दृष्टिगोचर नहीं होती| 26 देवलोक भी आकाश में अवस्थित हैं, पर वे अगोचर है, दिखाई नहीं देते| तृियंक (तिरछे) लोक की चीजें भी दृष्टिगोचर नहीं होती|

आचार्य श्री ने आगे कहा कि ज्योतिष विज्ञान भी एक विधा हैं| आकाश, ग्रह, नक्षत्र, तारे, सूर्य और चन्द्रमा हैं, इनका हमारे जीवन पर क्या और कैसा प्रभाव होता है? यह अलग विषय है| ज्योतिष विज्ञान हमारे भाग्य से जुड़ा है, हस्तरेखा, कुण्डली विज्ञान व अन्य माध्यम के द्वारा आदमी का भविष्य कैसा है, अतीत में क्या घटित हुआ, इसकी जानकारी मिल सकती हैं| इसका ज्ञान किसको कितना हैं, यह अलग बात है| भविष्य ज्ञान से पता लग सकता हैं कि आगे जीवन कैसा होगा, क्या क्या प्रतिकूलता अनुकूलता आने वाली है, अतीत की भी जानकारी मिल सकती हैं| देव शक्ति से भी जानकारी मिल सकती हैं| हमारे पूर्वज या इष्ट मित्र जो देव गति में देव हैं, वे भी भविष्य की जानकारी दे सकते हैं| यथार्थ या अयथार्थ में न जाये| इसमें एक भाग्यवाद का विषय हैं और दूसरा पुरूषार्थ का विषय हैं|

आचार्य श्री ने आगे कहा कि बुद्धिमान एवं समझदार आदमी न भाग्यवादी हो, न पुरूषार्थवादी हो, उसे भाग्यवाद की जितनी सीमा हैं, उसे स्वीकार कर पुरूषार्थवाद पर विश्वास करना चाहिए|

आचार्य श्री ने आगे कहा कि जैन धर्म में कर्मवाद का महत्व है, उसे पढ़े और अवधारणा करे| कर्मवाद भाग्यवाद है, किस कर्म से क्या फल मिल सकता हैं, मालूम हो सकता है, पर पुरूषार्थवाद का इतना महत्व है कि उससे भाग्य को भी बदला जा सकता हैं| जीवन में भाग्य भरोसे न बैठे, पुरूषार्थ भी करे| भाग्य भरोसे बैठने वाला अभागा आदमी हैं|

आचार्य श्री ने आगे कहा कि पुरूषार्थ सम्यक् एवं विवेक पूर्ण हो, जिससे आगे प्रगति कर सकते हैं| देवता हैं, देव शक्ति है, इनसे सहयोग एवं संम्बोध मिल सकता हैं, पर पुरूषार्थ इनसे भी बड़ा देवता हैं। देवता की असातना एवं अवहेलना न हो| पुरूषार्थ में ध्यान दें कि मेरे मैं शक्ति कितनी हैं, परिस्थिति कैसी है, किस रूप में मैं क्या पुरूषार्थ करू? कार्यक्षेत्र का निर्धारण कर समुचित परिश्रम करे|

पुरूषार्थ के समान हमारा कोई दुसरा बंधु नहीं हैं, पुरूषार्थ का आश्रय लेकर हम दुखी नहीं बन सकते| विवेकपूर्ण सम्यक् पुरूषार्थ आगे बढ़ाने वाला हो सकता है|

मुख्य मुनिश्री महावीर कुमार ने कहा कि किसी भी संगठन को चलाने के लिए मैनेजमेंट की अपेक्षा रहती हैं| आपने मैनेजमेंट के चार सुत्र बताये| *Opportunity (अवसर), Knowledge (ज्ञान), Delegation (आत्मविश्वास), Implementation (पराक्रम)* इन चार सूत्रों को भगवान महावीर के सिद्धांतों से मिलाते हुए कहा कि भगवान महावीर ने संसार में चार बाते दुर्लभ बताई है, *मनुष्य जन्म (opportunity), धर्म का श्रवण (Knowledge), उसके लिए पुरूषार्थ करना, श्रद्धा, समर्पण भाव (Delegation), तप व संयम में पराक्रम यानि Implementation.
साध्वी प्रमुखाश्री कनकप्रभा ने कहा कि सहनशीलता और समता से जीवन यात्रा सफल हो सकती हैं| हमारा जीवन संतुलित रहे, *बुराई में से भी अच्छाई निकालने का प्रयास करें|
टी पी एफ के आध्यात्मिक पर्यवेक्षक मुनि श्री रजनीशकुमार ने कहा कि तेरापंथ प्रोफेशनल फोरम को दीपक की तरह प्रज्जवलित होकर धर्म संघ को अपनी बुद्धि से ऊँचाईयों तक ले जाना है| टी पी एफ के कार्यकर्ताओं की संघ और संघपति के प्रति गहरी निष्ठा हो, समर्पण भाव हो एवं पुज्यवर का जो निर्देश मिले, उसे सहज शिरोधार्य करे|*
टी पी एफ के *निवर्तमान अध्यक्ष श्री प्रकाश मालू* ने कहा कि परमपूज्य आचार्य प्रवर एवं मुख्यमुनि श्री ने हमें प्रेरणा देते हुए कहा कि हम कितने सौभागी हैं, अब हमें चिंतन करना है कि हम इतने सौभागी क्यों है? और हमें आगे क्या करना है| टी पी एफ की गतिविधियां निवेदित करते हुए आगामी *2018-2020 के लिए निर्मल कोटेचा (गुहावटी) को नये अध्यक्ष एवं श्री निर्मल चोरडिया (सूरत) को मुख्यन्यासी के रूप में मनोनीत किया|*
*श्री एम के दुगड़ (दिल्ली) को 2016, श्री के सी जैन (दिल्ली) को 2017 एवं विलासपुर (छतीसगढ़) के मुख्य न्यायधीश श्री गौतम चोरडिया (जयपुर) को 2018 के टी पी एफ गौरव से सम्मानित किया|*
आचार्य प्रवर ने टी पी एफ के सदस्यों को सम्यक्त्व दीक्षा (गुरू धारणा) स्वीकार करवाई|
नवमनोनीत अध्यक्ष श्री निर्मल कोटेचा ने कहा कि *हमारे धर्म संघ में हजारों की संख्या प्रोफेशनल हैं, मैं उनमें से मैं एक छोटा सा कार्यकर्ता हूँ, नि:संदेह मुझसे बहुत ज्यादा गुणी भी है| गुरूदेव के प्रति कृतज्ञता के साथ दायित्व स्वीकार करते हुए कहा कि मैं समर्पण भाव से, संघ सेवा के दायित्व के रूप में स्वीकार करता हूँ, गुरू दृष्टि की निरन्तर निष्ठा पूर्वक आराधना करता हुआ टी पी एफ को ऊँचाईयों की ओर ले जाने का प्रयास करने का विश्वास दिलवाया| आपने अपनी नई टीम की घोषणा की|*
निवर्तमान अध्यक्ष श्री प्रकाश मालू ने नवमनोनीत अध्यक्ष एवं टीम को शपथ ग्रहण करवाई| नवगठित टीम को पूज्य प्रवर ने मंगल आशीर्वाद प्रदान किया| टी पी एफ गौरव से सम्मानित व्यक्तित्व ने अपने विचार व्यक्त किये| कार्यक्रम का कुशल संचालन मुनि श्री दिनेश कुमार ने किया|
*जैन ज्योतिष कार्यशाला का हुआ शुभारंभ*
आचार्य श्री महाश्रमण चातुर्मास प्रवास व्यवस्था समिति एवं तेरापंथ युवक परिषद् के तत्वावधान में दो दिवसीय जैन ज्योतिष कार्यशाला का आयोजन माधावरम् स्थित जैन तेरापंथ नगर में हुआ|
आचार्य श्री महाश्रमण के मंगल पाठ सुनकर कर नमस्कार महामंत्र के मंगल स्मरण के साथ कार्यशाला प्रारम्भ हुई| तेयुप अध्यक्ष श्री भरत मरलेचा ने सभी का स्वागत करते हुए मुख्य प्रशिक्षक डॉ मनोज श्रीमाल (हिमाचल ) का परिचय देते हुए उनका अभिनन्दन किया|
मुख्य प्रशिक्षक डॉ मनोज श्रीमाल ने उद्घाटन सत्र में कहा कि जैन ज्योतिष बहुत पुराना हैं| जैनआगामों में अनेकों जगह ज्योतिष के बारे में जानकारी उपलब्ध है, जिसे हमारे आचार्य, साधु उनका उपयोग करते रहते हैं| डॉ श्रीमाल ने कहा कि सूर्यादि, ग्रह और काल का बोध कराने वाले शास्त्र को ज्योतिषशास्त्र कहते हैं| ज्योतिष, ज्योतिष देवों सूर्य, चन्द्र आदि की गतिविधि पर से भूत, भविष्यत को जानने वाला एक महान् निमित ज्ञान माना जाता है|
इस कार्यशाला में संयोजक श्री पदमेन्द्र छाजेड़, पंकज बाफणा का महनीय सहयोग रहा|

*✍ प्रचार प्रसार विभाग*

*आचार्य श्री महाश्रमण चातुर्मास प्रवास व्यवस्था समिति, चेन्नई*
स्वरूप चन्द दाँती
विभागाध्यक्ष : प्रचार – प्रसार

आचार्य श्री महाश्रमण चातुर्मास व्यवस्था समिति

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