चेन्नई.ताम्बरम जैन स्थानक में विराजित साध्वी धर्मलता ने कहा साधु बने बिना साधना नहीं और साधना बिना सिद्धि नहीं मिलती। पंचम पद का वर्ण श्याम कहा गया है।
काले रंग पर कोई और रंग नहीं चढ़ता। साधु संत भी संसार से अलिप्त होते हंै उन पर भी विषय कषाय मोह माया का रंग नहीं चढ़ता। उड़द, शनि और मुनि सुव्रत का वर्ण भी श्याम कहा गया है। जैसे उड़द का काला छिलका निकल जाता है तो दाल का सफेद रंग सामने आ जाता है।
वैसे ही साधना से आत्मा की कालिमा हट जाती है और वह स्फटिक के समान उज्जवल हो जाती है। साध्वी अपुर्वा ने बताया कि वर्तमान चौसठ योगियों में जिनका नाम और काम सबसे अधिक परिचित है वो है सोलहवें तीर्थंकर शांतिनाथ। शांति इस शब्द के साथ ही सभी धर्म, पंथ, , शाराष्ट्रसन एकमत से जुड़ जाते हैं।