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बिना दुख के सुखानुभूति नहीं हो सकती: साध्वी सुविधि

बिना दुख के सुखानुभूति नहीं हो सकती:  साध्वी सुविधि

चेन्नई. साहुकारपेट स्थित जैन भवन में विराजित साध्वी सुविधि ने कहा सुखी जीवन के लिए दुख झेलना पड़ता है। बिना दुख के सुखानुभूति नहीं हो सकती। सुख चाहिए तो दुख से भागना नहीं चाहिए। जीवन में आगे जाना है तो परिस्थिति से भागना छोडऩा होगा।

परिस्थिति कैसी भी हो उसका सामना करना सीखें। इस संसार में कई तरह के दोस्त मिलेंगे, लेकिन अच्छे लोगों को ही दोस्त बनाना चाहिए। दोस्त कोयले और चंदन की तरह होते हैं। कोयला हाथ से जाने के बाद उसका असर खत्म हो जाता है। लेकिन चंदन अपनी खुशबू छोड़ जाता है। जीवन में चंदन जैसे दोस्त बनाने चाहिए।

जो साथ रहते हुए जीवन को महकाएँ और जाने के बाद अपनी महक छोडक़र जाएं। जिन्होंने कषायों को छोड़ दिया उनका जीवन बदल गया। लोगों को लगता है कि अच्छे लोगों के साथ रहो या बुरे लोगों के क्या फर्क पड़ता है। लेकिन याद रखो संगत का असर जरूर पड़ता है। मनुष्य अगर अच्छे लोगों के साथ रहेगा तो ऊंचाई पर जाएगा।

पानी में अगर दूध जाता है तो वह बेकार हो जाता है लेकिन वही पानी दूध में जाकर उसकी कीमत बढ़ा देता है। अब तय मनुष्य को करना है कि वह किसकी संगत करना चाहता है। जैसी जिसकी संगत होगी वैसा ही उसका मार्ग प्रशस्त होता जाएगा। भले ऐसा लगे कि किसी को पता नहीं चल रहा है लेकिन यह गलत सोच है।

गलत मार्गो पर किया गया पुरुषार्थ व्यर्थ हो जाता है। गुण और अवगुण की पहचान करना सीखने के बाद ही मनुष्य अपने जीवन को बदल सकता है। साधु संतों ने दुनिया की भलाई के लिए संसार छोड़ दिया। उनका लक्ष्य दूसरों पर उपकार कर जीवन बदलना है। साधु संत चंदन की तरह मनुष्य के जीवन को महकाने का काम करते हैं। इसलिए जब भी उनके सत्संग का मौका मिले तो उसका लाभ लेने से पीछे नहीं हटना चाहिए।

संघ ने रखी अगले चातुर्मास की विनती

संघ अध्यक्ष आनंदमल छलाणी, उपाध्यक्ष सुरेश कोठारी, जेपी ललवानी के नेतृत्व में प्रतिनिधिमंडल ने मरलेचा गार्डन में जयधुरंधर मुनि के दर्शनार्थ पहुंचा। मंत्री मंगलचंद खारीवाल ने मुनि के समक्ष आगामी चातुर्मास 2020 के लिए संघ की तरफ से भावभरी विनती रखी जिस पर मुनि ने कहा विनती पर समय पर निर्णय लिया जाएगा।

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