Share This Post

Featured News / Featured Slider / ज्ञान वाणी

बाहर से भीतर की ओर लौटने का पर्व संवत्सरी

बाहर से भीतर की ओर लौटने का पर्व संवत्सरी

संवत्सरी महापर्व पर साधना में सलग्न बने साधक

आरक्कोणम : – भारतीय संस्कृति में जैन धर्म का एक विशिष्ट स्थान हैं। यह व्यक्ति विशेष नहीं अपितु व्यक्तिश: साधना पर आधारित हैं। व्यक्तिश: साधना का आधार है वितरागता। उसके बाधक तत्व है राग-द्वेष और साधक तत्व है संवर – निर्जरा। उपरोक्त विचार तेरापंथ सभा भवन, आरकोणम में आचार्य श्री महाश्रमणजी की अनुज्ञा से पर्युषण पर्वाराधना करवाने आये उपासक स्वरूप चन्द दाँती (चेन्नई, बालोतरा) ने कहें।

आपने आगे कहा कि संसारी प्राणी अनंत जन्मों से संसार में भव भम्रण करता है। जैन धर्म किसी जाति या सम्प्रदाय की सीमा में नहीं बन्ध कर समस्त मानव जाति के उद्वार के द्वार उद्‌घाटित करता हुआ कहता है कि भव भम्रण के भटकन से मुक्त होने के लिए कर्मचक्र को तोडना जरूरी हैं।

यह संवत्सरी महापर्व बाहर से भीतर की ओर, राग-द्वेष को छोड़ समता, सहिष्णुता, सहनशीलता, सदाचार क्षमा के मार्ग को अपनाने की प्रेरणा देता है। यह त्याग, वैराग्य, संयम की चेतना को जागृत कर वीतरागता की ओर प्रस्थान कराता है। संवत्सरी का दिन मानवीय मूल्यों की स्थापना का दिन है। अहिंसा की प्रतिष्ठा का दिन हैं। मैत्री की पावन गंगा के अवतरण का पुण्य प्रभात हैं।

उपासक शोभागमल सांड (कडलूर) ने कहा कि इस अवसर्पिणी काल भगवान महावीर ने अध्यात्म साधना के द्वारा सामुदायिक समस्या के समाधान के लिए सन्तोष का रास्ता बताया। यह अतीत का अवलोकन, अनागत का अभिनन्दन और वर्तमान के मूल्यांकन का महापर्व हैं।

छोटी सी बालिका दीया बाफणा ने निडरता से अर्हम्-अर्हम् की वन्दना का संगान किया, हिमांशु, नक्श ने प्रस्तुति दी। तेरापंथ सभा के मंत्री संजय देवड़ा ने अपने विचार रखे। तपस्वी अभिनव दरला के 51 एकासन तप की अनुमोदना की गई। महिला मण्डल, भिक्षु मण्डल ने विषयानुरूप गीतिका प्रस्तुत की।

स्वरुप चन्द दाँती
प्रचार प्रसार प्रभारी
श्री जैन श्वेताम्बर तेरापंथी सभा, चेन्नई

Share This Post

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

You may use these HTML tags and attributes: <a href="" title=""> <abbr title=""> <acronym title=""> <b> <blockquote cite=""> <cite> <code> <del datetime=""> <em> <i> <q cite=""> <s> <strike> <strong>

Skip to toolbar