तिरुचिरापल्ली. आचार्य महाश्रमण शुक्रवार को तिरुचिरापल्ली जिले के कट्टुर नगर पहुंचे। यहां स्थित सिंगार महल कल्याण मंडपम परिसर में आचार्य ने श्रद्धालुओं को संबोधित करते हुए कहा कि आदमी को अपने जीवन में बहुश्रुत की पर्युपासना करनी चाहिए और अपेक्षानुसार प्रश्न भी करना चाहिए।
तथ्यों की सही जानकारी और जिज्ञासा समाधान के लिए बहुश्रुत की पर्युपासना करनी चाहिए। बहुश्रुत के पास बहुत ज्ञान होता है, जो सिद्धांत का ज्ञाता होता है। साथ में साधना और संयम भी होता है। ऐसे ज्ञानी और संयमी बहुश्रुत की पर्युपासना करनी चाहिए। ऐसा करने से आदमी के इस जीवन में भी हित हो सकता है और परलोक में भी हित हो सकता है। आदमी को सुख की प्राप्ति भी हो सकती है।
उन्होंने कहा मृत्यु के पश्चात भी सुख की प्राप्ति हो सके, इसके लिए बहुश्रुत की पर्युपासना करनी चाहिए। बहुश्रुत ऐसा मार्गदर्शन दे सकता है, जिससे आदमी का कल्याण हो सकता है। ज्ञानी गुरु लज्जा, दया की भावना, अनुकंपा, मन, वचन और काय का संयम और ब्रह्मचर्य के बारे में बताने वाले होते हैं, उनकी सतत पूजा करनी चाहिए। दुनिया में ज्ञान का बहुत महत्त्व है।
जिन संतों के पास ज्ञान हो और वे साधना भी करने वाले हों तो उनकी पर्युपासना से आदमी को लाभ प्राप्त हो सकता है। आदमी अपनी आत्मा को संयमरूपी पारस से लगाए तो आत्मा स्वर्ण भी बन सकती है। इसलिए आदमी को बहुश्रुत की पर्युपासना करने का प्रयास करना चाहिए।