चेन्नई. ताम्बरम जैन स्थानक में विराजित साध्वी धर्मलता ने कहा माया कैंची जबकि सूई जोडऩे का काम करती है। धन वाले को चोरों की भय होता है और कपटी को अपनी पोल खुलने का डर सताता है।
छल, कपट, प्रपंच आदि माया के ही पर्यायवाची हैं। मायावी जीव बहुरूपिया होता है। ऊपर से सरल बनता है और अंदर से कपट करता है। ऊपर से तो मीठी छुरी जैसा और अंदर से झूठा होता है। उसकी कथनी और करनी में अंतर होता है।
माया शल्य एवं केशर की गांठ की तरह होता है जो सारी साधना को नष्ट कर देती है। साध्वी ने कहा गिरगिट का रंग, कपटी का मन और नेता का दंड कभी भी पलट सकता है, अत: हमें माया कषाय से दूर रहना है।
सहमंत्री खेमचंद बोहरा ने बताया कि नौ अगस्त को आचार्य जयमल का सामूहिक जप-तप अनुष्ठान किया जाएगा।