चेन्नई. आचार्य विमलसागरसूरी ने कहा परिवर्तन को हमेशा के लिए टाला या रोका नहीं जा सकता। समय के साथ हर वस्तु, व्यक्ति परिस्थिति, प्रकृति, स्वभाव, सोच और जीवन शैली में परिवर्तन आता रहता है जो कुंठित, जड़ या पौराणिक सोच को लेकर चलते हैं वे पिछड़ भी जाते है और परास्त भी हो जाते हैं।
मनुष्य को सदैव आज में जीना होता है आने वाले कल को देखते हुए। जो समाज और धर्म अपने मूल रूप में कभी शाश्वत नहीं रहता। लेकिन परिवर्तन अनिष्ठकारी नहीं होना चाहिए। वह सोच समझकर समय और परिस्थितियों को देखकर किया जाना चाहिए। बिना सोचे समझे पिछले रास्तों से अनचाहे परिवर्तन आते हंै।
वे समाज, परिवार, धर्म और संस्कृति के लिए घातक सिद्ध होते हैं। आज ऐसा ही हो रहा है। बुद्धि वीर वाटिका के विशाल मंडप में आचार्य ने चौथे जागरण शिविर की भूमिका बतलाई। उन्होंने कहा कि युवा जागरण ही धर्म, समाज और राष्ट्र के लिए बुनियादी तत्व है। जो एक युवा कर सकता है, सौ वृद्ध मिलकर नहीं कर सकते।
दक्षिण की सूरत और सीरत बदलने के लिए युवाओं को संकल्पित होना होगा। दक्षिण में पिछले 50-100 साल राजनीति और सिनेमा के रहे हंै। अब भ्रष्टाचार मुक्त समाज, शाकाहारी जीवनशैली, व्यसनमुक्त व्यवस्था, राष्ट्रीय भावना, धर्म गौरव, सांस्कृतिक निष्ठा आदि के रूप में दक्षिण की सूरत और सीरत बदलने का कार्य करना है।
सिर्फ उपदेशों से नहीं बल्कि दृढ इच्छा शक्ति के बलबूते पर यह संभव है। अच्छे और बुद्विमान लोगों को संगठित होकर आगे आना होगा। वरना धूर्त और गलत लोग सभी पर हावी होते चले जाएंगे। इसकी सजा कमोबेश समाज के हर वर्ग के लोगों को भुगतनी होगी। चौथा जगारण शिविर रविवार को एसपीआर सीटी में प्रारंभ होगा।