साध्वी नूतन प्रभाश्री जी ने बताया- जो जीवन को पतित करे वह पाप है
Sagevaani.com @शिवपुरी। 84 लाख जीवयोनि में भटकने के बाद पुण्य के प्रभाव से आपको मनुष्य जीवन मिला है। इस मनुष्य जीवन को सद्कर्म और धर्म आराधना कर सार्थक कर लो अन्यथा पछताने के अलावा कुछ हाथ नहीं रहेगा। मानव जीवन की व्यथा में अगले भव की व्यवस्था कर लो यही जीवन की सार्थकता है।
उक्त बात प्रसिद्ध जैन साध्वी वंदनाश्री जी ने कमला भवन में आयोजित विशाल धर्मसभा में कही। साध्वी नूतन प्रभाश्री जी जैन दर्शन में वर्णित नौ तत्वों की व्याख्या कर रही हैं। आज उन्होंने पाप तत्व पर प्रकाश डालते हुए कहा कि जो जीवन को पतित करे वह पाप है। इस अवसर पर साध्वी नूतन प्रभाश्री जी ने प्रसिद्ध जैनाचार्य विजयधर्म सूरि जी की पुण्यतिथि के अवसर पर उन्हें याद किया और कहा कि उनकी स्मृति में वह आगामी दिनों में जप और तप का समाज के सहयोग से आयोजन करेंगी।
धर्मसभा के प्रारंभ में साध्वी जयश्री जी ने धर्म कमाने का सुंदर अवसर आया है, किस्मत से तूने नर तन पाया है… भजन का गायन किया। इसके बाद साध्वी वंदनाश्री जी ने कहा कि हमें मनुष्य जन्म अपने पुण्य की पूंजी को बढ़ाने के लिए मिला है। हमें चिंता नहीं, बल्कि चिंतन करना चाहिए कि किस तरह से अगले भव के लिए अपनी पूंजी में वृद्धि करें। उन्होंने कहा कि मृत्यु के बाद आपके साथ आपकी धन सम्पदा दौलत आदि नहीं जाती, बल्कि आपके कर्म आपके साथ जाते हैं। जीवन में जिसने धर्म रूपी पूंजी का संचय कर लिया उसी का जीवन सार्थक हो जाएगा।
साध्वी नूतन प्रभाश्री जी ने अपने उद्बोधन में बताया कि जीवन में प्रत्येक इंसान को दुराचार की प्रवृत्ति से दूर रहना चाहिए। जो सदाचार से नीचे गिर गया उसका जीवन व्यर्थ हो जाएगा। उन्होंने श्रावक जीवन के चौथे व्रत मैथुन विरमण व्रत की चर्चा करते हुए कहा कि प्रत्येक ग्रहस्थ को एक पत्नी व्रत का पालन करना चाहिए। अपनी पत्नी के अलावा संसार की सभी स्त्रियां उसके लिए या तो माँ या बहन या बेटियां होती हैं। उन्होंने नारियों को समझाइश देते हुए कहा कि आदर्श नारी की दो विशेषताएं होती हैं, एक तो वह पतिव्रता होती है और दूसरी शीलव्रता। उन्होंने कहा कि पतिव्रता नारी वह होती है जो अपने पति के प्रत्येक आदेश का बिना सवाल किए पालन करती है।
आचार्य विजयधर्म सूरि जी ने शिवपुरी की भूमि को किया है पवित्र
आज देश के जाने माने जैनाचार्य विजयधर्म सूरि जी की 101वीं पुण्यतिथि है। आचार्य विजयधर्म सूरि जी ने शिवपुरी में समाधि ली थी। उक्त उद्गार व्यक्त करते हुए साध्वी नूतन प्रभाश्री जी ने कहा कि आचार्यश्री जी ने शिवपुरी की भूमि को पवित्र किया है। उनकी स्मृति में शिवपुरी में गुरूकुल की भी स्थापना की गई थी। पुण्यतिथि के अवसर पर समाधि मंदिर पर पूजन का कार्यक्रम आयोजित किया गया है और साध्वी रमणीक कुंवर जी के निर्देशन में 30 सितम्बर को कमला भवन में आचार्यश्री जी की पुण्यतिथि मनाई जाएगी। इस अवसर पर त्याग और तपस्या के पचक्खान कराए जाएंगे।