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फाल्गुनी चौमासी पर्व मनाया गया

फाल्गुनी चौमासी पर्व मनाया गया

श्री जैन रत्न हितैषी श्रावक संघ तमिलनाडु के तत्वावधान में स्वाध्याय भवन साहूकारपेट चेन्नई में फाल्गुनी चौमासी पर्व तप-त्याग पूर्वक आत्म आलोचना दिवस के रुप में मनाया गया |

वरिष्ठ स्वाध्यायी श्री विनोदजी जैन ने जैन धर्म का मौलिक इतिहास के भाग चार सामान्य श्रुतधर खण्ड का वांचन किया | श्रावक संघ के निवर्तमान कार्याध्यक्ष आर नरेन्द्रजी कांकरिया ने बताया कि जैन धर्म में संवत्सरी पर्व की तरह फाल्गुनी चौमासी पर्व भी महत्वपूर्ण माना जाता हैं इस पर्व पर सभी कार्तिक पूर्णिमा के पश्चात विगत चार माह में लगे हुए दोषों व पापों की आलोचना करते हैं | तपस्वी श्री कांतिलालजी तातेड़, श्रावक श्री इंदरचंदजी कर्णावट,आर नरेन्द्रजी कांकरिया ने आलोयणा का पाठ किया | स्वाध्याय संघ जोधपुर के सहसंयोजक श्री ए नवरतनमलजी बागमार ने उपस्थित तीनों नवीन स्वाध्यायी बन्धुवरो को अंतगढ़दसा सूत्र के वांचन व शुद्धिकरण का प्रशिक्षण करवाया |

रायसी व देयसी प्रतिक्रमण में एकान्तर तपस्वी साधक श्री विमलचंदजी सुराणा विनोदजी जैन संघ उपाध्यक्ष गौतमचन्दजी मुणोत बादलचन्दजी लीलमचन्दजी गौतमचन्दजी ज्ञानचन्दजी बागमार उच्छबराजजी गांग इंदरचंदजी अम्बालालजी कर्णावट नरेन्द्र कांकरिया पदमचन्दजी दीपकजी योगेशजी श्रीश्रीमाल किशोरजी करणराजजी डाकलिया मोहितजी छाजेड़ कांतिलालजी तातेड़ रुपराजजी सेठिया सहित अनेक श्रावकों की उपस्थिति प्रमोदजन्य रही | सभी ने प्रतिक्रमण के पाठ में समस्त जीव राशि से क्षमायाचना की | श्री कांतिलालजी तातेड़ ने अष्ठप्रहर पौषध श्री मोहितजी छाजेड़ व श्री प्रकाशचंदजी ओस्तवाल ने चार प्रहरी पौषध श्री विनोदजी ने संवर साधना की | समस्त तपस्वी व साधना आराधना करने वाले बन्धुवरों की साता पृच्छा करते हुए संघ की ओर से साधुवाद ज्ञापित किया गया |

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