Share This Post

Featured News / Featured Slider / ज्ञान वाणी

फल की कामना तनाव का प्रमुख कारण : मुनि सुधाकर

फल की कामना तनाव का प्रमुख कारण : मुनि सुधाकर

220वें भिक्षु चरमोत्सव के अवसर पर दिव्य मंत्रो का अनुष्ठान एवं भव्य धम्म जागरण कल

माधावरम्, चेन्नई; श्री जैन श्वेताम्बर तेरापंथ माधावरम् ट्रस्ट, चेन्नई के तत्वावधान में आचार्य श्री महाश्रमणजी के सुशिष्य मुनि श्री सुधाकरकुमारजी एवं मुनि श्री नरेशकुमारजी के सान्निध्य में, जय समवसरण, जैन तेरापंथ नगर में मुनि श्री सुधाकरजी ने कहा कि धर्म और कर्तव्य का पालन शुद्ध भावना से करना चाहिये। उसके साथ किसी प्रकार की कामना और लालसा नहीं होनी चाहिये। सुखी और आनन्दमय जीवन जीने के लिए सहजता से जीने का अभ्यास करना चाहिये। किसी भी प्रकार की फल की कामना मानसिक तनाव का प्रमुख कारण है। संसार में सभी प्राणियों की सीमाएं है। उन सीमाओं को समझना हमारे लिए जरूरी है। यदि कोई स्वयं को सर्व शक्तिमान समझता है तो यह उसका अज्ञान है, जैसे विद्यार्थियों का परिणाम प्रकट होता है। वैसे हम सबका प्रतिदिन अनुकूल और प्रतिकूल परिणाम सामने आता रहता है। हमें उसे सहजता और प्रसन्नता से स्वीकार करना चाहिये। आत्मा और कर्म का सिद्धान्त समझकर हम तब मुक्त हो सकते हैं। मुनिश्री ने आगे कहा कि जन्म के साथ मृत्यु तथा संयोग के साथ वियोग का अटल नियम है। इसलिए अधिक हर्ष और अधिक शोक की लहर से खुद को बचना चाहिये।

  मुनि श्री नरेशकुमारजी ने गीत का संगान कियाl प्रवीण सुराना ने बताया कि मुनि श्री निर्भयता का महातंत्र और मंत्र है, भीखू स्याम एवं तेरह गांठों का रक्षा कवच कैसे बनाये विषय पर प्रवचन देंगेl कल 220वॉ भिक्षु चरमोत्सव मुनिश्री के सान्निध्य में मनाया जाएगा। इस अवसर पर आचार्य भिक्षु से जुड़े दिव्य मंत्रों का भव्य अनुष्ठान करवाया जाएगाl ट्रस्ट के प्रबंध न्यासी घीसूलाल बोहरा ने बताया कि रात्रि में एक शाम भिक्षु बाबा के नाम भक्ति संध्या का भी आयोजन किया जायेगा, जिसमें संगीत कलाकार अपनी प्रस्तुति देंगेl

Share This Post

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

You may use these HTML tags and attributes: <a href="" title=""> <abbr title=""> <acronym title=""> <b> <blockquote cite=""> <cite> <code> <del datetime=""> <em> <i> <q cite=""> <s> <strike> <strong>

Skip to toolbar