*🏳️🌈प्रवचन वैभव🏳️🌈*
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121)
प्रायश्चित
भाव के बिना
शाल्यमुक्ति असंभव हैं.!
122)
पर का आधार
कभी भी छूट सकता है
अतः पर की
आधीनता छोड़ दो
श्रेष्ठ आधार है स्वयं का.!
123)
दोषों से प्रीति रखकर
दुख मुक्ति नही पा सकते.!
124)
व्यक्ति, अवस्था
समय संपत्ति वैभव
सब परिवर्तनशील ही हैं.!
125)
मॉर्निंग वॉक में और
सफर में बहोत फर्क है
एक में घूम के वही आना है
दूजे में नियत मंजिल को पाना हैं.!
हमारी क्रिया कैसी है,चिंतन करना.!
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*प्रवचन प्रवाहक:*
*युग प्रभावक वीर गुरुदेव*
*सूरि जयन्तसेन कृपापात्र*
श्रुत संस्करणप्रेमी,शिष्यरत्न
मुनि श्रीवैभवरत्नविजयजी म.सा.
*🦚श्रुतार्थ वर्षावास 2024🦚*
श्रीमुनिसुव्रतस्वामी नवग्रह जैनसंघ
@ कोंडीतोप, चेन्नई महानगर