कांकरिया गेस्ट हाउस, किलपाक में श्री जैन रत्न हितैषी श्रावक संघ, तमिलनाडु के तत्वावधान में भगवान महावीर जैन विद्यापीठ के प्राचार्य श्री प्रकाशचंदजी जैन, जयपुर द्वारा व्याख्यान माला में क्षमा की महत्ता बताते हुए कहा कि क्षमा वीरस्य भुषणम अर्थात क्षमा वीरों का आभूषण हैं | कवि श्री रामधारी सिंह दिनकर की कविता का उल्लेख करते हुए कहा कि क्षमा शोभती उस भुजंग को जो गरल हैं | अपने शब्दों,क्रिया,विचार,चारित्र और आदत इन पांचो पर हमेशा हमारी नजर व ध्यान रहना चाहिए | क्रोधी व्यक्ति को महा चांडाल कहा गया हैं | क्रोध के समय मौन धारण कर लेना सर्वश्रेष्ठ उपाय हैं | क्रोध के माहौल से बचने के लिए छोटे-छोटे नुस्खे हैं कि आप उस स्थान से कुछ समय के लिए हट जाए,जहां क्रोध का माहोल हैं,क्रोधी व्यक्ति उकसाए तो उस समय मुंह मे पानी भर ले,तुरन्त प्रत्युत्तर ना दे,प्रतिक्रिया ना करें | लोभी जाने अमर मारी काया,थोड़ा से जीने खातिर क्यों जोड़े माया |
हम निर्ग्रन्थ के भक्त हैं,फिर हम भीतर में ग्रंथि क्यों रख रहे हैं | अगर एक वर्ष किसी के प्रति वैर भाव रह गया क्षमा याचना नही की तो समकित नहीं रहती,एक वर्ष के अधिक की स्थिति में जैनाचार सुरक्षित नही रहता | आचार्य रत्नसुन्दर की पुस्तक कही तो रुको कभी तो रुको में परिग्रह व दान आदि पर सुन्दर उल्लेख हैं | क्रोध माथे पर मान गर्दन पर माया पेट में और लोभ पूरे शरीर में रोम-रोम में व्याप्त रहता हैं | युवा रत्न स्वाध्यायी बन्धुवर श्री विनोदजी जैन ने अंतगड सूत्र का मूल व अर्थ सहित वांचन करते हुए क्षमा याचना की |
श्री जैन रत्न हितैषी श्रावक संघ तमिलनाडु के कार्याध्यक्ष आर नरेन्द्र कांकरिया ने श्रावक संघ तमिलनाडु की ओर से सांवत्सरिक क्षमा याचना व धर्म सभा मे उपस्थित श्रावक संघ तमिलनाडु के संघाध्यक्ष श्री प्रेमकुमार जी कवाड़ से क्षमा याचना की व्याख्यान माला के व्याख्यात्रा प्राचार्य श्री प्रकाशचंदजी जैन के स्वाध्यायमय जीवन का परिचय देते हुए उनका सत्कार में कहा कि महावीर जैन विद्यापीठ,जलगाँव मजराष्ट्र में प्राचार्य के रुप मे निरन्तर पैंतीस वर्षो की सेवा के परिणाम स्वरुप आज उनसे शिक्षण प्राप्त छात्र पूरे भारत वर्ष में स्वाध्यायमय जीवन व्यतीत करने के संग प्रशिक्षित स्वाध्यायी के रुप मे विभिन्न संघो को सेवाएं प्रदान करते हुए स्वाध्याय की शोभा में अभिवर्धन कर रहे हैंl
जिनशासन में ऐसे प्राचार्य हैं यह गौरव का विषय हैं,यह गुरुदेव श्री हस्तीमलजी म.सा की दीर्घ दृष्टि का परिणाम हैं एवं अष्ठ दिवसीय व्याख्यानमाला हेतु स्थान प्रदान करने हेतु श्री खेमचन्दजी नवरतनमलजी कांकरिया के प्रति आभार व्यक्त करते हुए श्राविका मण्डल व युवक परिषद की सेवाओं हेतु धन्यवाद ज्ञापित किया श्राविका मण्डल तमिलनाडु की ओर से दैनिक धार्मिक प्रतियोगिता में मन्त्री श्रीमती शोभाजी चोरडिया के सद्प्रयास हेतु श्रावक संघ की ओर से आभार व्यक्त किया |
भोजन व्यवस्था को संभालने हेतु संयोजक श्री हंसराजजी बागमार व साथियों को श्रावक संघ की ओर से साधुवाद ज्ञापित किया और भावी आचार्यश्री पूज्यश्री महेन्द्रमुनिजी म.सा के द्वितीय भावी आचार्य पद दिवस पर गुणगान किये | कार्याध्यक्ष ने जानकारी दी कि व्याख्यान के पश्चात प्राचार्यजी श्री प्रकाशचंदजी जैन ने महाराणा प्रताप व कवि पिट्ठल की सुन्दर लावनी सुनाई, जिसमे कवि के महाराणा प्रताप के स्वाभिमान को जगाने की भावाव्यक्ति व पुनः महाराणा के द्वारा प्रत्युत्तर में वीर रस की अति सुन्दर घटना हैं,जो जन-जन को भाव विभोर कर दे | धर्म सभा मे उपस्थित सभी ने आलोयना का सामूहिक पाठ किया |
श्री भोपालगढ़ जैन विद्यालय के अध्यक्ष श्री प्रसनचन्दजी ओस्तवाल ने कवि सूर्यभानुजी की देव-गुरु-धर्म व वैराग्य से ओत-प्रोत अनेक रचनाओं को मंत्र मुग्ध कर देने वाली राग में सुनाया | शाखा प्रमुख युवा संदीपजी ओस्तवाल ने सञ्चालन के संग क्षमा याचना की |
प्रेषक :- आर नरेन्द्र कांकरिया, श्री जैन रत्न हितैषी श्रावक संघ, तमिलनाडु स्वाध्याय भवन,24/25 – बेसिन वाटर वर्क्स स्ट्रीट, साहूकारपेट,चेन्नई 600 001.