चेन्नई. महानगर के कई इलाकों में प्रवासी मिथलांचल की महिलाओं ने सोमवार को अखंड सुहाग की कामना के साथ वट सावित्री की पूजा की। वट सावित्री व्रत के दिन सुहागन महिलाएंं पति की दीर्घायु और परिवार की सुख शांति के लिए वट वृक्ष (बरगद) की पूजा करती हंै।
उत्तर चेन्नई के पूझल शिवम मंदिर के प्रांगण में स्थित बरगद के पेड़ की पूजा करने के लिए महिलाएं एकत्रित हुई और वृृक्ष की परिक्रमा करते हुए रक्षा सूत्र बांधकर प्रसाद चढ़ाया। रेडहिल्स, तिरूवत्तीयूर, मनली और रायपुरम इलाके में भी प्रवासी मिथिलांचल की महिलाओं ने वट सावित्री पूजा की।
मान्यता है कि वट सावित्री की पूजा करने से परिवार में सुख-शांति आती है और पूजा करने वाली महिला के पति को जीवन में आने वाली बाधाओं से मुक्ति मिलती है। इस पूजा के अवसर पर बुजुर्ग महिलाएं वट सावित्री कथा सुनाती है जिसे सभी सुहागिन महिलाएं ध्यान से सुनती हैं। इस पूजा के लिए नव विवाहिता महिलाओं में खासी रुचि होती है।
इस पूजा में सात तरह के अनाज और फलों का भोग लगाया जाता है। महिलाएं वट वृक्ष के जड़ में जल अर्पण कर कुमकुम और अक्षत चढ़ाती हैं। फिर सूत के धागे को वृक्ष पर बांधकर सात बार परिक्रमा करती है और सावित्री-सत्यवान की कथा सुनने के बाद चने और गुड़ का प्रसाद बांटती है।
ऐसी मान्यता है कि पतिव्रता सावित्री ने वट वृक्ष के नीचे बैठकर अपने पतिव्रत के बल से पति सत्यवान को दोबारा जीवित कर लिया था। तब से देश के कई हिस्सों में वट सावित्री का पर्व मनाया जाता है।