इतिहास मार्तंड सामयिक स्वध्याय के प्रबल प्रेरक आचार्य भगवंत *1008 पूज्य गुरुदेव श्री हस्तीमल जी म.सा.* के सुशिष्य एवं ध्यान योगी , आचार्य सम्राट *पूज्य श्री डॉ. शिव मुनि जी म.सा.* व श्रमण संघीय सलाहकार ,पूज्य प्रवर्त्तक श्री सुकन मुनि जी म.सा. के आज्ञानुवर्ती रोचक व्यख्यानी , पंडित रत्न पूज्य गुरुदेव श्री ज्ञान मुनि जी म.सा.मधुर वक्ता पूज्य श्री लोकेश मुनि जी म.सा* आदि ठाणा के शुभ सान्निध्य में चातुर्मासिक पर्व शुरू होगया.
चातुर्मास के पहले दिवस पर पूज्य लोकेश मुनिजी ने अपने उद्बोद्धन में कहा की चातुर्मास न की जैन दर्शन बल्कि वैदिक परम्परा का भी हिस्सा हैं. इस समय में जीवो की उत्पत्ति होने के कारण प्रभु महावीर ने साधु साध्वी को एक ही जगह रुकने व धर्म आराधना व आत्मकल्याण का लक्ष्य रखे. आत्मा ही परमात्मा हैं और भवी जीव अपने पुरुषार्थ से आत्मा कल्याण कर सकता हैं. आत्मा भाव में जागृति से जीव मोक्ष लक्ष्मी को प्राप्त कर सकता हैं .जीव को द्रव्य , क्षेत्र, काल भाव के शुभ संयोगों से आत्मभाव में रमन कर मोक्ष प्राप्त कर सकता हैं. पूज्य श्री ज्ञान मुनि जी ने आपने उद्बोद्धन से लोगों को धर्म में जुड़ने का अवसर न खोने व आने वाले 4 माह में प्रमाद आलस्य को त्याग कर धर्म आराधना करने को कहा. उन्होंने ज़्यादा से ज़्यादा दान शील तप भाव करने की हितशिक्षा दिया जिससे आत्मा कल्याण हो.
चातुर्मासिक दैनिक कार्यक्रम का विवरण इस प्रकार रहा जिसे सभा के सामने दीपेश सुराणा ने पेश किया.
*प्रार्थना – प्रातः सूर्योदय से*
*प्रवचन :- प्रातः 9:15 से 10:15 बजे*
*धर्मचर्चा मध्याह्न :- 3 से 4 बजे तक( महिलाओं के लिए)*
प्रतिक्रमण :- सूर्यास्त से रात्रि धर्म चर्चा – 8:30 से 9:30 तक ( पुरुषों के लिए)
आज दोपहर का नमस्कार सूत्र का जाप श्रीपाल सम्यक सुराणा परिवार की और से रही। बहार गाव से आने वाले का स्वागत हुआ और भोजनशाला में अथितिय सत्कार। आप सभी धर्मप्रेमी बन्धुओं से निवेदन है कि आप सभी सह परिवार, इस्ट मित्रों सहित प्रतिदिन दर्शन,वन्दन, एवं प्रवचन का लाभ अवश्य लें।
*निवेदक:- श्री वर्धमान स्थानकवासी जैन श्रावक संघ बोलारम!*
*स्थल – श्री पतासीबाई गुलाबचंद सुराणा जैन स्थानक भवन बोलारम*