Share This Post

ज्ञान वाणी

प्रभु वचनों का श्रवण दुर्लभ

आरकाट के श्री एसएस जैन स्थानक भवन में विराजित साध्वी श्री मंयकमणिजी ने कहा कि आत्महित में सहायक बनने वाले प्रभु वचनों का श्रवण दुर्लभ है। प्रभु वचन पाप से बचाती है,और  संस्कार,सद्गति,सदगुण भी प्रभु वचनों से प्रापत होती है।
लोगों को श्रवण के बाद उन वचनों को मनन में लेना चाहिए। यही नहीं मनन चिंतन करके मन के कुसंस्कारों के दमन करना और आत्म हित के लिए शुभ भावों को अर्जित करना चाहिए जो प्रभु वचनों से ही सुलभ है। चातुर्मास का लक्ष्य है परमात्मा की शरणागति में जाना। परमात्मा का प्यार पाना है। सदाचारिता,कर्तव्य परायणता,परलोकचिंता, पुण्यश्रद्धा में पवित्रता लानी है। इन पांच गुण से हम प्रभु का प्यार पा सकते हैं।

Share This Post

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

You may use these HTML tags and attributes: <a href="" title=""> <abbr title=""> <acronym title=""> <b> <blockquote cite=""> <cite> <code> <del datetime=""> <em> <i> <q cite=""> <s> <strike> <strong>

Skip to toolbar