इंदौर। मां पद्मावती के परम् उपासक, कृष्णागिरी शक्तिपीठाधिपति, राष्ट्रसंत डॉ. वसंतविजयजी म.सा. द्वारा हृींकारगिरी तीर्थ धाम में स्वर्णाक्षरों से लिखित कल्पसूत्र का वाचन गुरुवार से किया गया। उन्होंने बताया कि कल्पसूत्र कोई सामान्य ग्रंथ नहीं, यह परमात्मा की वाणी है जिसे बड़े ही भाव के साथ श्रवण करना चाहिए।
सुवर्ण लेखनी द्वारा इस कल्पसूत्र का लेखन किया गया है जिसका पेपर भी विशेष रुप से तैयार किया गया है जो वर्षों तक यथावत रहता है। श्री नगीन भाई कोठारी चैरिटेबल ट्रस्ट के ट्रस्टी जय कोठारी ने बताया कि इंदौर के इतिहास में में पहली बार स्वर्ण अक्षरों से लिखित कल्पसूत्र का वाचन हो रहा है।
उन्होंने बताया कि कल्पसूत्र वेराने का लाभ श्रीमती मनोरमा बेन, डॉ. सुनील-ममता, खुशबू, भेरिश मण्डलेचा दसाई वाले गुमास्तानगर निवासी इंदौर परिवार ने लिया है, वहीं गुरु पूजन के लाभार्थी पंकज, योगेश कोठारी परिवार रहा।
राष्ट्रसंत डॉ. वसंतविजयजी म.सा. ने पर्यूषण पर्व के चौथे दिन गुरुवार को प्रवचन में कहा कि प्रभु की कृपा पाने के लिए तथा आत्मा की शांति चाहिए तो परमात्मा की भक्ति करनी जरुरी है। उस प्रभु पर भरोसा रखने की सीख देते हुए उन्होंने कहा कि सभी के बीच में रहो और अपने आपको अलग, स्वतंत्र तथा आत्मा, परमात्मा को अपना मानो और परमात्मा की साधना में लीन रहो।
उन्होंने कहा कि प्राणी संसार में अकेला ही आता है और अकेला ही जाता है इसलिए यह भाव रखना चाहिए कि आत्मा व परमात्मा के अलावा कोई भी अपना नहीं हैं। उन्होंने कहा कि धर्म के मर्म को समझकर पर्यूषण पर्व के दौरान किसी भी तरह का क्रोध नहीं करना चाहिए। क्रोध से शारीरिक व मानसिक क्षति होती है। संतश्रीजी ने आत्मिक शुद्धि के लिए अपने अंत:करण में पनपे मैल को साफ करने की भी प्रभावी प्रेरणा दी।
ट्रस्टी विजय कोठारी ने बताया कि आज सुबह के सत्र में प्रतिष्ठापित मूलनायक परमात्मा पार्श्वनाथजी की प्रतिमा का विधिकारक हेमंत वेदमूथा मकशी द्वारा 50 दिवसीय 18 अभिषेक जारी रहा। वहीं चातुर्मास प्रवासित डॉ. वसंतविजयजी म.सा. से दर्शन, प्रवचन व मांगलिक श्रवण का लाभ लेने वालों में बड़ौदा, रतलाम, बाड़मेर, बेंगलूरू, चैन्नई, मुम्बई समेत अनेक राज्यों के श्रद्धालू शामिल थे।