*विंशत्यधिकं शतम्*
*📚💎📚श्रुतप्रसादम्*
🪔
*तत्त्वचिंतन:*
*मार्गस्थ कृपानिधि*
*सूरि जयन्तसेन चरणरज*
मुनि श्रीवैभवरत्नविजयजी म.सा.
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प्रत्येक वस्तु में
अनेक धर्म निहीत हैं..
समस्त धर्मो के बोध से
पदार्थ का पूर्णबोध होता हैं,
पूर्णबोध को प्रमाण कहते है.!
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नय अर्थात
वस्तु के
एक अंश को जानना
अन्य अंश का निषेध न करना.!
🤔
नय हमें वक्ता के
आशय एवं संदर्भ को
समझने की रीति सिखाता है.!
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*प्रमाण नय के*
*ज्ञान के अभाव में*
*सिद्धांत के रहस्यों को*
*समझना संभव नही है..!*
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जहां
प्रमाण नय के
ज्ञान का अभाव हो
वही पर कदाग्रह होता हैं.!
*📚श्री स्यादवाद मंजरी📚*