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प्रतिलेखन करने से व्यक्ति सम्यक बनता है: साध्वीश्री प्रतिभाश्री जी म सा

प्रतिलेखन करने से व्यक्ति सम्यक बनता है: साध्वीश्री प्रतिभाश्री जी म सा

विजयनगर स्थानक भवन में विराजित जैन दिवाकरिय साध्वीश्री प्रतिभाश्री जी म सा ने कहा कि प्रतिलेखन करने से व्यक्ति सम्यक बनता है, और सम्यक व्यक्ति ही सर्वज्ञ को प्राप्त करता है। प्रतिलेखन हमें ज्ञान, दर्शन व चरित्र की ओर बढ़ाता हैं। आगे विवेचन करते हुए बताया कि जिसने समय को साध लिया उसका मन सध जाता है, समय और मन जब सध जाता है तो मनुष्य का जीवन स्वतः सध जाता है। सम्यक की व्याख्या करते हुए बताया कि सही समय पर सही निर्णय लेकर सही कार्य करना ही सम्यक है। अन्यथा विपरीत सोच रखकर कार्य करने वाला अपराध कर बैठता है, उदाहरण देते हुए कहा कि जैसे “काल करे सो आज कर, ओर आज करे सो अब”यदि व्यक्ति की सोच बुरी व विपरीत है तो वह अपराध कर बैठता है वही सकारात्मक सोच से वह अपने लक्ष्य को साध कर सर्वज्ञ हो जाता है।

साध्वी दीक्षिता श्रीजी ने आगमों का विवेचन करते हुए माता त्रिशला का उदाहरण देते हुए कहा कि माता की सोच व दैनिक आचरण का पूरा पूरा प्रभाव उसके गर्भ में पल रहे बच्चे पर पड़ता है।वह जन्म के बाद वैसा ही बनेगा जैसा उसने गर्भ में माता के आचरण को देखा।

साध्वी प्रेक्षाश्रीजी ने कलह के बारे में बताते हुए कहा जब भी कलह की स्थिति हो तब यदि एक व्यक्ति मौन धारण करले तो कलह समाप्त हो जाता है। धैर्य जीवन का सबसे बड़ा गहना है जो इसे धारण करले वह जीवन को जीत जाता है अक्सर मनुष्य के कलह के पीछे तीन बड़े कारण होते हैं जर,जोरू व जमीन। यदि व्यक्ति इनके प्रति आसक्ति छोड़ दे तो जीवन मे कभी कलह नहीं होगा। संघ के मंत्री कन्हैया लाल सुराणा ने ता 11 अगस्त को दो महापुरुषों लोकमान्य संत शेरे राजस्थान पूज्य गुरुदेव श्री रूपचंद जी म सा व श्रमणसूर्य मरुधर केसरी पूज्य मिश्रीमल जी म सा की जन्मजयंती युवासंघ द्ववारा सामूहिक एकासन, सामायिक व तप से मनाई जाएगी।परमगुरूभक्त श्री शान्तिलाल जी आंचलिया ने उस दिन गौतम प्रसादी करने का लाभ प्राप्त किया, संघ की ओर से इस हेतु अनुमोदना की गई।

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