मानव जीवन बड़ी मुश्किल से मिला है उसका एक-एक क्षण बहुमूल्य है इसका उपयोग अच्छे कार्य में करना चाहिए। क्योंकि मानव जीवन 84 लाख योनियों में श्रेष्ठ है मानव जीवन में व्यक्ति सदकर्मों द्वारा मोक्ष की प्राप्ति कर सकता है समय को फिजूल खर्च करना अज्ञानता का प्रतीक है। प्रतिदिन महामंत्र की एक माला शुद्ध भाव से गिनने वाला भी प्रभु को पा लेता है। नवकार मंत्र कोई मंत्र नहीं है यह सभी मंत्रों में श्रेष्ठ है, इसमें इतनी शक्ति है कि वह जहर को भी अमृत बना दे। धर्म कार्य में आलस्य कर हम स्वयं के जीवन के अमूल्य क्षणों को व्यर्थ कर रहे हैं। जबकि निन्दा, मनोरंजन व मोबाइल,टी वी के लिये हम समय निकाल लेते है। उपरोक्त विचार पूज्य महासती श्री कल्पदर्शना जी ने धर्म सभा को संबोधित करते हुए फरमाया कि मित्र तीन प्रकार के होते हैं पहला थाली मित्र जिसे केवल भोजन पार्टियों के अलावा आपसे किसी प्रकार का कोई मतलब नहीं होता है, दूसरा होता है प्याली मित्र जिसे केवल खाली समय में चाय पानी के अलावा कुछ नहीं सुझता, तीसरा होता है धर्म मित्र जो आपको हमेशा सदमार्ग पर ले जाता है धर्म एवं जिनवाणी के प्रति प्रेरित करता है।
जिनवाणी सुनने वाला श्रोता कभी अहंकार नहीं करता है चाहे रूप मिला हो, धन मिला हो, पद प्रतिष्ठा प्राप्त हो वह हमेशा विनय पूर्वक व्यवहार करता है। क्योकि वह जानता है यह नश्वर शरीर एक दिन राख के ढेर में बदल जाएगा यह धन संपदा यही रह जावेगी तो मे अहंकार किस पर करूं। जिनशासन चंद्रिका मालव गौरव पूज्य महासती श्री प्रियदर्शना जी महाराज साहब ने सुख-विपाक सुत्र का वाचन किया। उपरोक्त जानकारी देते हुए श्री संघ अध्यक्ष इंदरमल दुकड़िया एवं कार्यवाहक अध्यक्ष ओमप्रकाश श्रीमाल ने बताया कि भक्तामर अनुष्ठान कि 31 वी गाथा का अनुष्ठान के लाभ गुप्त महानुभाव ने लिया। श्रीमती उषा जी कोचट्टा ने 22 उपवास, सुशील जी मेहता ने 6 उपवास के प्रत्याख्यान महासती जी के मुखारविंद से लिए। श्रीमती स्मिता जी संघवी ने तप अनुमोदनार्थ स्तवन प्रस्तुत किया। धर्मसभा का संचालन महामंत्री महावीर छाजेड़ ने किया।
*वर्धमान स्थानकवासी जैन श्रावक संघ जावरा*
*अध्यक्ष – इंदरमल टुकड़िया*
*कार्याध्यक्ष- ओमप्रकाश श्रीमाल*
*महामंत्री – महावीर छाजेड़*
एवं समस्त पदाधिकारीगण
दिवाकर भवन दिवाकर मार्ग जावरा जिला रतलाम