Share This Post

Featured News / ज्ञान वाणी

प्रतिकूल प्रस्तुति में संघर्ष करने वाला महापुरुष बनता है:  जय धुरंधर मुनि

प्रतिकूल प्रस्तुति में संघर्ष करने वाला महापुरुष बनता है:  जय धुरंधर मुनि
श्री जयमल जैन श्रावक संघ के तत्वावधान में वेपेरी स्थित जय वाटिका मरलेचा गार्डन में विराजित जय धुरंधर मुनि के सानिध्य में जारी नवपद ओली आराधना  के अंतर्गत जयकलश मुनि ने कहा संसार सुख -दुख का चक्र है।
सुख-दुख दिन रात के समान आते – जाते रहते हैं ।कोई भी जीव हमेशा सुखी नहीं रह सकता है ।उतार-चढ़ाव जीवन का एक महत्वपूर्ण पहलू है।
अपने आप को संभाल कर रखने वाला ही अपने जीवन का यापन सफलतापूर्वक कर सकता है। संकट की घड़ी आने पर उसे उसका सामना करना चाहिए। प्रतिकूल परिस्थिति में संघर्ष करने वाला ही महापुरुष बनता है ।
जिस प्रकार सोना जब कसोटी में कसा जाता है तभी उसकी पहचान होती है। उसी प्रकार जीवन की कसौटी पर कसने के बाद ही महापुरुष की पहचान होती है । महापुरुषों के जीवन में पूर्वाद्ध में भी विपत्ति वियोग की स्थिति उपस्थित होती है , लेकिन पुरुषार्थ के बल पर सफलता के शिखर तक पहुंच जाते हैं।
विपत्ति कभी अकेले नहीं आती । पाप के प्रबल उदय के समय चारों तरफ से आती है। विपत्ति के समय परिजन, मित्रजन भी साथ छोड़ वैरी बन जाते हैं। जिस प्रकार कीचड़ में ही कमल होता है। उसी प्रकार विपत्ति से ही संपत्ति की प्राप्ति होती है। सुख-दुख किसी के द्वारा दिए नहीं जा सकते, वह तो स्वयं के कर्मादिन होते हैं।
मुनि ने नवपद महत्व को दर्शाने हेतु श्रीपाल के चरित्र का वर्णन करते हुए कहा कि श्रीपाल 5 वर्ष की आयु में पिता के वियोग के कारण अपनी प्राण – रक्षा हेतु 700 कोड़ियों के साथ रहते हुए रोग ग्रस्त हो जाता है, किंतु नवपद ओली आराधना के फल स्वरुप उसका कोङ रोग दूर हो जाता है ।
धर्माराधना देव, गुरु ,धर्म की कृपा से पुण्यवाणी में अभिवृद्धि होती है और जीव के भाग्य का अभ्युदय हो जाता है। अंत में जय धुरंधर मुनि ने मंगल पाठ सुनाया।

Share This Post

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

You may use these HTML tags and attributes: <a href="" title=""> <abbr title=""> <acronym title=""> <b> <blockquote cite=""> <cite> <code> <del datetime=""> <em> <i> <q cite=""> <s> <strike> <strong>

Skip to toolbar