चेन्नई. साहुकारपेट स्थित जैन भवन में विराजित साध्वी सिद्धिसुधा ने कहा सच्चे मन से अगर परोपकार के कार्य किए जाएं तो आत्मा को इसी भव में मोक्ष की प्राप्ति हो सकती है लेकिन बिना मन के किया गया धर्म किसी काम का नहीं होता है।
जीवन में सफलता उन्हीं को मिलती है जो काम को एकाग्रता से करते हैं। लोग दिखावे के कार्य जादा करते हैं इसलिए लाभ नहीं मिलता। लेकिन सच्चे मन से पुरुषार्थ कर कर्मो की निर्जरा की जा सकती है। साध्वी सुविधि ने कहा मनुष्य जब धर्म की राह पर आगे बढ़ेगा तो उसे असली और नकली हीरे के बारे में पता चलने लगेगा।
वर्तमान में लोग अपने गुस्से पर नियंत्रण नहीं कर पाते और बाद में पछतावा होता है। बात बात पर गुस्सा दिखाने वाले लोग नकली और प्रतिकूल परिस्थिति में भी शांत रहने वाला व्यक्ति असली होता है। मनुष्य ने दुनिया के लोगों को तो बहुत परखा अब खुद को परखने का समय आ गया है। मनुष्य जब क्रोध करता है तो उसी का घाटा होता है पर उसके बावजूद क्रोध से दूर नहीं होता है।
जिस प्रकार से लोग आग से बचते हंै क्योंकि आग की एक चिंगारी भी सब कुछ राख कर सकती है। उसी प्रकार से मनुष्य को गुस्से से भी बचना चाहिए, क्योंकि गुस्से में मनुष्य आग बबूला हो जाता है।
उन्होंने कहा कि प्रतिकुल परिस्थिति, अपेक्षा और अहंकार की वजस से मनुष्य को गुस्सा आता है। स्थिति कैसी भी हो लेकिन संयम रखना बहुत जरूरी है।
अगर कोई किसी से अपेक्षा करेगा और उसे उसके विपरित मिलेगा तो गुस्सा आएगा। इसलिए कभी भी किसी से अपेक्षा ही नहीं रखनी चाहिए। जब लोग गुस्सा आने के परिणाम को देखना शुरू कर देंगे तो उनका गुस्सा अपने आप ही खत्म हो जाएगा।