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प्रज्ञा के भण्डार पुरुष – आचार्य श्री महाप्रज्ञ

प्रज्ञा के भण्डार पुरुष – आचार्य श्री महाप्रज्ञ
101वें जन्म दिवस पर श्रद्धासमर्पण
 
     ‘महाप्रज्ञोस्तु मंगलम्’ कार्यक्रम में माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी रहेंगे उपस्थित
आचार्य श्री महाप्रज्ञजी का जन्म राजस्थान के थली संभाग में टमकोर गांव में पिता तोलारामजी माता बालूदेवी की कुक्षि से हुआ। टमकोर एक साधारण गांव था। जहां ना तो रेल आती थी, ना कोई सड़क, ना कोई विद्यालय।
परंतु वहां के लोग जैन श्वेतांबर तेरापंथ संघ के अनुयाई थे। वहां समय-समय पर साधु साध्वियों का आना जाना होता रहता था। कई बार चोमासे भी होते थे। लोगों में साधु साध्वियों के दर्शन सेवा प्रवचन आदि की भावना रहती थी।
जिससे उन्हें समय-समय पर धार्मिक संस्कार मिलते रहते। आचार्य महाप्रज्ञजी का नाम नथमल था। छोटी अवस्था में ही आपके पिता श्रीमान् तोलारामजी का स्वर्गवास हो गया। घर की सार संभाल करने वाला कोई नहीं था। इसलिए माता बच्चों को लेकर पीहर चली गई पीहर वाले काफी संपन्न थे। नथमल जी का लालन-पालन ननिहाल में हुआ। बड़े होने पर पारिवारिक जन पुनः सब को टमकोर ले आए।
वहां उस समय मुनि छबीलजी का चातुर्मास था। पारिवारिक सदस्य सेवा दर्शन का पूरा लाभ लेते थे। मुनि छबीलजी के सहयोगी मुनि मूलचंदजी ने बालक नथमल को कुछ तत्वज्ञान करवाया और संसार की नश्वरता का बोध करवाया, जिससे नथमल के ह्रदय में वैराग्य भावना उत्पन्न हो गई।  नथमल ने माता से दीक्षा की बात कही।
तब माता ने कहा जब तू दीक्षा लेगा तो मैं घर में रहकर क्या करूंगी, मैं भी तुम्हारे साथ साध्वी बन जाऊंगी। मां बेटे दोनों अपने मन को पक्का बना रहे थे। संतो ने उन्हें पूज्य कालूगणी के दर्शनों की प्रेरणा दी और मां बेटे गोपीचंदजी के साथ पूज्य कालूगणी के दर्शनार्थ गंगाशहर गए। उस समय यातायात के साधनों की दिक्कत थी।
गंगाशहर में पूज्य कालूगणी के प्रथम दर्शन और प्रवचन से बालक नथमल का वैराग्य और अधिक पुष्ट हो गया और पूज्य कालूगणी से दीक्षा की अर्ज की। पूज्य प्रवर ने मां बेटे की भावना पर ध्यान देते हुए साधु प्रतिक्रमण की आज्ञा प्रदान की। टमकोर पहुंचते ही संतों ने उन्हें प्रतिक्रमण आदि आवश्यक तत्वों का ज्ञान करवाया।
पुज्य कालूगणी गंगाशहर के पश्चात सरदारशहर मर्यादा महोत्सव के लिए पधार रहे थे। मां बेटे ने सरदारशहर से पूर्व भादासर में गुरुदेव के दर्शन करके दीक्षा की अर्ज की। पूज्य गुरुदेव ने बालक नथमल की दीक्षा फरमा दी और माता को अनुमति नहीं मिली। नथमल के आग्रह भरे निवेदन पर ध्यान देकर माता बालूजी की दीक्षा फरमा दी। सरदारशहर मर्यादा महोत्सव पर आपकी दीक्षा हुई।
दीक्षित होते ही पूज्य प्रवर ने आपकी शिक्षा, साधु आचार आदि के प्रशिक्षण के लिए मुनि तुलसी के पास नियुक्ति की। मुनि तुलसी ने अपनी गहरी सूझबूझ से नव दीक्षित मुनि नथमल का ऐसा निर्माण किया कि, वे महाप्रज्ञ के रूप में उभर कर आए। मुनि नथमलजी की विनम्रता, सरलता, आचार निष्ठा, गुणग्राहकता,  सहिष्णुता, अध्यनशीलता, कर्तव्य परायणता अद्धितीय थी। आप इन्हीं गुणों के कारण द्वितीया के चंद्रमा के समान प्रवर्घमान रहे।
मुनि तुलसी जब आचार्य बन गए, तब भी आपको उनकी निकट सेवा का दुर्लभ अवसर प्राप्त होता रहा। आगम तत्व सिद्धांतों को गहराई से समझकर आप एक अच्छे साहित्यकार, प्रवचनकार, व्याख्याकार बने। आपने हिंदी, संस्कृत, प्राकृत, राजस्थानी भाषा में जो साहित्य लिखा, उसे पढ़कर पाठक गण आप की मुक्त कंठ से प्रशंसा करते हैं।
   
आप हिंदी, संस्कृत, प्राकृत भाषा के आशु कवि थे। आपकी प्रज्ञा के आगे सभी नतमस्तक थे। उन्होने केवल जैन और तेरापंथ के लोगों के दिलों में ही नहीं, अपितु मूर्धन्य साहित्यकार, चिंतक वैज्ञानिक, राजनेता, उद्योगपतियों के दिलों में भी गहरा स्थान बनाया। आपकी कार्यक्षमताओं को देखकर आचार्य श्री तुलसी ने अपने जीते ही अपना आचार्य पद विसर्जन कर महाप्रज्ञजी को आचार्य पद पर प्रतिष्ठित किया।
यह तेरापंथ धर्म संघ के लिए नवीन कार्य कहा जा सकता है। आचार्य श्री महाप्रज्ञजी ने जीवन के अंतिम दिवस तक सक्रिय जीवन जिया। प्रवचन लेखन अध्यापन सब व्यवस्थित चले। आपने आचार्य श्री तुलसी के महाप्रयाण के पश्चात अपने उत्तराधिकारी की विधिवत् घोषणा कर पूर्ण निश्चिंत हो गए थे। विक्रम संवत 2009 को जेष्ठ कृष्णा एकादशी के दिन सरदारशहर में आपका महाप्रयाण हो गया।
यह भी एक दुर्लभ योग ही था की सरदारशहर में ही आप ने दीक्षा ली, अग्रणी बनकर प्रथम चातुर्मास सरदारशहर में ही किया और अंतिम समय भी सरदारशहर वासियों को मिला। आपकी अनेक विशेषताओं को जड़ लेखनी से लिख पाना साधारण व्यक्ति का काम नहीं है।
आपके 101वें जन्मदिवस पर यही मंगल कामना करते हैं कि आप द्वारा दर्शित पथ का अनुशरण करके आचार्य महाश्रमणजी की छत्र छाया में संयम पथ पर निर्बाध गतिमान बने रहे।
     – : विशेष ज्ञातव्य :-
परम पूज्य आचार्य श्री महाप्रज्ञजी की जन्म शताब्दी के महत्वपूर्ण प्रसंग पर जैन श्वेताम्बर तेरापंथी महासभा की आयोजना में पारस टीवी चेनल पर 19 जून 2020 को प्रातः 8:00 बजे से आयोजित ‘महाप्रज्ञोस्तु मंगलम्’ कार्यक्रम में सुप्रसिद्ध संगायक भावपूर्ण प्रस्तुति द्वारा अपनी संगीतमय श्रद्धाजंलि देंगे।
इस कार्यक्रम के मुख्य अतिथि हैं भारत के माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी, लोकसभाध्यक्ष श्री ओम बिड़ला तथा राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक श्री मोहन भागवत।
स्वरुप चन्द दाँती
प्रचार प्रसार प्रभारी
श्री जैन श्वेताम्बर तेरापंथी सभा, चेन्नई

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