क्रियोद्वारक परम तेजस्वी कीर्ति निष्पृही बाल ब्रह्मचारी आचार्य पूज्यश्री रत्नचंद्रजी म.सा का 180 वां स्मृति दिवस आज मंगलवार 10 जून 2025, ज्येष्ठ शुक्ल चतुर्दशी को तप-त्याग पूर्वक गुणगान करते हुए आराधना दिवस के रुप मे साहूकारपेट के बेसिन वाटर वर्क्स स्ट्रीट में स्थित स्वाध्याय भवन में मनाया गया | वरिष्ठ स्वाध्यायी आर वीरेन्द्रजी कांकरिया ने श्रुतधर खण्ड का वांचन किया |
श्री जैन रत्न हितैषी श्रावक संघ,तमिलनाडु के निवर्तमान कार्याध्यक्ष आर नरेन्द्रजी कांकरिया ने राजस्थान के कुड़ ग्राम मे श्रावक लालचन्द्रजी व श्राविका हीरादेवीजी के यहां जन्मे बालक रत्नचंद्रजी के नागौर मे बाल्यकाल, दृढ़ वैराग्य, आचार्य भगवन्त पूज्यश्री गुमानचन्द्रजी म.सा के सानिध्य व चरित्रमय जीवन का परिचय व पद के प्रति निष्पृहता भाव का वर्णन करते हुए कहा कि पूज्यश्री रत्नचंद्रजी म.सा ने गुरुदेव आचार्य गुमानचन्द्रजी म.सा के देवलोकगमन होने के पश्चात संघ द्वारा योग्यता के आधार पर उन्हें आचार्य बनाने का निर्णय लेने के बावजूद भी पद लेने से मना करते हुए कहा कि स्थविर पूज्यश्री दुर्गादासजी म.सा दीक्षा व वय से स्थविर हैं उन्हें ही आचार्य पद पर सुशोभित किया जाना उचित हैं, अतः मैं पद स्वीकार नही करुंगा,बिना पद के भी निष्पृहता पूर्वक संघ का संचालन करते हुए वे चौबीस वर्षो तक श्री दुर्गादासमुनिजी को पूज्यश्री कह कर पुकारते तो दुर्गादासमुनिजी उन्हें पूज्यश्री कह कर पुकारते | चौबीस वर्षो तक यह पद अनियत रुप मे ही रहा | इस आदर्शमय संस्मरण से राम व भरत जिस तरह राज्य लक्ष्मी को एक दूसरे को अर्पण करने दृश्य वाले इतिहास की स्मृति मन मस्तिष्क पर छा जाती हैं |
स्थविर पूज्यश्री दुर्गादासजी म.सा के देवलोकगमन होने के पश्चात ही आचार्य पद स्वीकार किया | आपका चरित्रमय जीवन प्रेरणास्त्रोत रुप हैं,आप मात्र चौदह वर्ष की बालवय मे मण्डोर,जोधपुर में दीक्षित हुए,जोधपुर मे 48 वर्ष की वय मे रत्नवंश के द्वितीय आचार्य पद पर आरुढ़ हुए,आपका आचार्य पर्याय बीस वर्षो का रहा | आपके मुखारविन्द से अनेक विरक्त आत्माओं की जैन भागवती दीक्षाएं हुई,उनमें तीस संत रत्न व दस साध्वी रत्न प्रमुख रहे | आप चरित्रमय जीवन में कभी भी लोकैषणा के पीछे नहीं रहे | आपकी कीर्ति- नि:स्पृहता वर्तमान में हम सभी के लिए आदर्श रुप हैं | आज ही की तिथि ज्येष्ठ शुक्ल चतुर्दशी को आपका 68 वर्ष की वय मे जोधपुर मे संलेखना संथारा पूर्वक देवलोकगमन हुआ |
धर्म सभा मे कमलजी चोरडिया लीलमचन्दजी बागमार,उच्छबराजजी गांग,रुपराजजी सेठिया, इंदरचंदजी महावीरचन्दजी कर्णावट,श्रावक संघ के कोषाध्यक्ष गौतमचन्दजी मुणोत,पदमचन्दजी दीपकजी व योगेशजी श्रीश्रीमाल, वीरेन्द्रजी ओस्तवाल आदि स्वाध्यायगण की सामायिक परिवेश मे उपस्थिति प्रमोदजन्य रही | श्रावक रत्न श्री इंदरचंदजी कर्णावट ने संकल्प करवाया,कमलजी चोरडिया ने मंगल पाठ किया | तीर्थंकर भगवन्तो,आचार्य भगवन्तों उपाध्याय भगवन्त, भावी आचार्यश्री,साध्वी प्रमुखा समस्त चरित्र आत्माओं की जयजयकार के साथ आचार्य पूज्यश्री रत्नचंद्रजी म.सा का 180 वां स्मृति दिवस आराधना दिवस के रुप में सम्पन्न हुआ |
# प्रेषक :- आर नरेन्द्र कांकरिया ‘स्वाध्याय भवन’ 24/25 बेसिन वाटर वर्क्स स्ट्रीट, साहूकारपेट, चेन्नई