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पुरुषार्थ से बदल सकती है तकदीर : मुनि श्री सुधाकरकुमारजी

पुरुषार्थ से बदल सकती है तकदीर : मुनि श्री सुधाकरकुमारजी

 “गुड लाईफ, गुड लक” कार्यशाला में सम्भागी बने हजारों व्यक्ति

 

माधावरम्, चेन्नई 21.08.2022 ; श्री जैन श्वेताम्बर तेरापंथ माधावरम् ट्रस्ट, चेन्नई के तत्वावधान में आचार्य श्री महाश्रमणजी के सुशिष्य मुनिश्री सुधाकरजी व मुनिश्री नरेशकुमारजी के सान्निध्य में आचार्य महाश्रमण तेरापंथ जैन पब्लिक स्कूल के विशाल परिसर में आयोजित “गुड लाइफ गुड लक” विषय पर भव्य कार्यशाला का आयोजन किया गया। जिसमें विशाल संख्या में भाई बहनों ने भाग लिया। कार्यशाला का शुभारंभ नमस्कार महामंत्र से हुआ। मंगलाचरण माधावरम् ज्ञानशाला ज्ञानार्थीयों ने किया।

    कर्म से ही होता कुंडली का निर्माण

   मुनि श्री सुधाकरजी ने श्रद्धालुओं को संबोधित करते हुए कहा कि भारत में दो परम्पराएं पनपीं – कृषि परम्परा और ऋषि परम्परा। कृषि परम्परा पेट का खयाल रखती, वहीं ऋषि परम्परा व्यक्ति के आध्यात्मिक विकास में उपयोगी बनी, बन रही हैं। जैन दर्शन आत्मवाद, कर्मवाद पर आधारित है। आत्मा के संसार में परिभ्रमण का कारण कर्म है। जब आत्मा अष्ट कर्मों से मुक्त हो जाती है, तब वह शुद्ध, बुद्ध व मुक्त बन जाती है। किए हुए कर्मो का फल हर आत्मा को भोगना पड़ता है। जिसमें किसी की आत्मा का कोई अपवाद नहीं है। जो जैसा करता है, वैसा फल मिलता है। कर्म संसार बड़ा विचित्र है। कर्म से ही कुंडली का निर्माण होता है।

  मुनिश्री ने अष्ट कर्मो व नवग्रहों का तुलनात्मक संबंध बताते हुए कहा कर्म हो या ग्रह जिम्मेदार व्यक्ति स्वयं होता है। अपने उत्थान-पतन, सुख-दु:ख, यश-अपयश का कारण भी व्यक्ति स्वयं होता है। व्यक्ति की क्रिया ही कर्म व ग्रह के परिणाम के रूप में फल देती है। किंतु हर व्यक्ति में वह शक्ति और सामर्थ्य होता है, कि वह अपने किए हुए कर्मफलों को भी शुभ व अशुभ में परिवर्तन कर सकता है।

  आदत व स्वभाव से ग्रहों के प्रभाव को कर सकते प्रभावित

   मुनिश्री ने नव ग्रहों का विस्तार से वर्णन करते हुए कहा कि हम अपनी आदत व स्वभाव से ग्रहों के प्रभाव को प्रभावित कर सकते हैं। सत्य का आचरण, समय का प्रबंधन, कथनी व करनी की समानता सूर्य ग्रह को बलवान बनाता है। सकारात्मक सोच, पानी का संयम चंद्रमा को बलवान बनाता है। शुभ शब्दों का प्रयोग, शुद्ध बुद्धि का विकास, छोटे के प्रति अपनत्व का भाव बुध को प्रबल बनाता है। बड़ों के प्रति सम्मान व आदर की भावना, संत व गुरुजनों की सेवा गुरु ग्रह के लिए विशेष उपयोगी बनता है। महिलाओं के प्रति सम्मान की भावना, किसी वस्तु का अपव्यय ना करना, शुक्र को मजबूत बनाता है। क्रोध पर नियंत्रण रखना, पुरुषार्थ में विश्वास रखना, आत्मविश्वास से परिपूर्ण रहने से मंगल ग्रह शक्तिशाली बनता है। धैर्यता, गंभीरता व वैराग्य भाव से शनि ग्रह का दुष्प्रभाव कम होता है। राहु और केतु के अशुभ प्रभाव से बचने के लिए किसी की निन्दा, आलोचना व पीठ पीछे बुराई करने से बचने का प्रयास करना चाहिये। मुनिश्री ने विशेष प्रेरणा पाथेय प्रदान करते हुए आगे कहा कि घर में रसोईघर, मंदिर इनका रखरखाव भी हमारे ग्रह नक्षत्र को भी प्रभावित करते हैं।

  मुनि श्री नरेशकुमारजी ने अध्यात्ममय जीवन जीने की प्रेरणा देते हुए गीत का संगान किया। कार्यशाला के प्रायोजक श्री शोभालालजी मुकेशजी बाफणा परिवार का ट्रस्ट बोर्ड की ओर से अभिनन्दन किया गया। नवीन बोहरा, किलपौक सामायिक ग्रुप की बहनों ने गीतों का संगान किया। तेरापंथ माधावरम् ट्रस्ट बोर्ड के प्रबंध न्यासी श्री घीसुलालजी बोहरा ने स्वागत स्वर, कार्यशाला संयोजक संजय आच्छा ने धन्यवाद ज्ञापन दिया। कुशल संचालन संयोजक सुनील बोहरा ने किया।

  समाचार सम्प्रेषक : स्वरूप चन्द दाँती

  मीडिया प्रभारी, श्री जैन श्वेताम्बर तेरापंथ माधावरम् ट्रस्ट, चेन्नई

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