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पुरुषार्थ करने वालों का परमात्मा देतें हैं साथ: साध्वी सिद्धिसुधा

पुरुषार्थ करने वालों का परमात्मा देतें हैं साथ: साध्वी सिद्धिसुधा
चेन्नई. साहुकारपेट के जैन भवन में विराजित साध्वी सिद्धिसुधा ने कहा कि पाप के मार्ग पर चलना जितना आसान है उतना ही मुस्किल उसके फल को झेलना है। पुण्य के मार्ग पर जाना थोड़ा कठिन होता है लेकिन फल जीवन को सुखद करने वाले होते हैं। चिंतन करने की जरूरत है कि किस मार्ग पर जाना है।
आज चिंतन कर लेंगे तो जीवन सुखमय हो जाएगा।  साध्वी सुविधि ने कहा कि मनुष्य को जीवन में हर समस्या का सामना करने के लिए तैयार रहना चाहिए। वर्तमान में व्यापार समेत हर क्षेत्र में  समस्या है। चाहे जैसी समस्या हो लेकिन उसका सामना करने के लिए हर वक्त तैयार होना चाहिए।
उन्होंने कहा कि संसार मे जिन समस्या का समाधान ना मिले उसे छोड़ देना चाहिए। कोई उधार पैसा लेकर अगर दुनिया से चला जाये तो उससे पैसा वापस मिलना संभव नही है। ऐसे मे उसको भुलने के बजाय लोग समस्या बना लेते है। दुनिया से जाने वालों से उधार मिलना संम्भव नही है तो उसको समस्या बनाने से कुछ नही मिलेगा।
जो काम सुलझने वाला नही है उसे सुलझाने की कोशिश कर परेसान नहीं होना चाहिए। जो बदलने को तैयार नही उसे बदलने की कोशिश करोगे तो स्वयं परेसान हो जाओगे। उन्होंने कहा कि जो सुलझ जाए उसे सुलझाने के लिए हर वक्त तैयार रहें। समस्या को लेकर बैठे रहने से वह नही सुलझेगा, बल्कि पुरुषार्थ करना चाहिए। परमात्मा उन्हीं की मदद करते हैं जो पुरुषार्थ करते हैं।
अगर पढ़ाई किये बगैर परीक्षा देकर चाहो की भगवान पास करा दें तो वह संभव नहीं होगा। उन्होंने कहा कि पुरुषार्थ करने वालो को अपने आप की सफलता मिल जाती है। क्रोध, कषाय और विकार तभी खत्म होगा जब मनुष्य पुरुषार्थ करेगा। शांति से बैठ कर बिना कुछ किये  क्रोध कषाय खत्म नही होगा।  पुरुषार्थ करने को तैयार रहने वाले हर समस्या का सामना कर लेते हैं।
ऐसा नहीं है कि पुरुषार्थ करने से समस्याओं का तुरंत हल निकल जायेगा बल्कि उसके लिए धैर्य रखना होगा। पुरुषार्थ करोगे तो परिणाम जरूर मिलेगा पर उसके लिए धैर्य जरूरी है। पुरुषार्थ और धैर्य के बाद भी काम ना हो तो भगवान पर छोड़ दो। श्रद्धा से प्रार्थना करोगे तो कार्य पूरा हो जाएगा। जो मनुष्य पुरुषार्थ करते हुए धैर्य रखेंगे तो उनका जीवन बदल जायेगा। जीवन में आगे वही जाते हैं जो समस्याओं से भागने के बजाय उनका सामना करते हैं।

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