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पुण्य से वह अणगार से आगार बनने की शक्ति प्राप्त करता है: पुज्य जयतिलक जी म सा

पुण्य से वह अणगार से आगार बनने की शक्ति प्राप्त करता है: पुज्य जयतिलक जी म सा

पुज्य जयतिलक जी म सा ने जैन भवन, रायपुरम में प्रवचन में बताया कि अनंत अनंत आस्था के केन्द्र महावीर ने भव्य जीवों को संसार सागर से तिरने के लिए जिनवाणी प्ररूपित की और श्रुत धर्म, चारित्र धर्म का प्ररूपण किया। आगार धर्म और अणगार धर्म, साधुधर्म – जब गृहस्थ धारण करता है और विवेक को जोड़ता है और पुण्यानुबंधी पुण्य का उपार्जन करता है। पुण्य से वह अणगार से आगार बनने की शक्ति प्राप्त करता है! कदम कदम पर विवेक आवश्यक है! सही प्रवृत्ति के उपरांत भी विवेक रखो। एरंडी का तेल पेट का शोधन करता है वैसे ही पुण्य भी आत्मा का शोधन करता है! मोक्ष तक ले जाता है। घी दीर्घायु देने वाला है। घी के साथ दवा लेने से वह सुचारू रूप से कार्य करता है। दूध के साथ एरंडी का तेल से सारे मल का शोधन कर देता है।

पुण्य मोक्ष तक ले तो जाता है किंतु पुण्य संसार में ही रुक जाता है! ज्ञान तदुभविक है। पहले ज्ञान होना आवश्यक है! चारित्र इहभाविक हैं। जो साबुन के समान आत्मा को शुद्ध बनाता है। पवित्र बनाता है। चारित्र में दोष लग जाय तो प्रतिक्रमण कर लेना! आत्मा को शुद्ध कर लेना!

प्रतिक्रमण से आत्मा त्रिकाल में शुद्ध रहती है! आगार धर्मी, विवेक से कार्य करता है। उसमें निर्लिपुता रहती है। मात्र व्रत लेने से आत्मशुद्धि नहीं होती। किंतु उसका ध्यान रखें शुद्ध रखना आवश्यक है। जैसे हीरे की अंगुठी को सावधानी रखी जाती है वैसे ही व्रत ग्रहण के पश्चात सावधानी रखें। प्रसंग तीसरे अणुव्रत का चल रहा था! चोरी करने वाला कभी न कभी पकड़ा जाता है यदि नहीं भी पकड़ा जाये तो परलोक में बचना संभव नहीं। जैन धर्म द्रव्य और भाव दोनो के कर्म बांधे जाते है। भाव कर्म का संसार में दण्ड नहीं किंतु परलोक में भोगना ही पड़ता है यदि इससे बचना है तो प्रतिक्रमण कर लो। आजकल हर चीज में नकली आने लग गया। तेल, दवाई, सीमेन्ट, खाद्य पदार्थ आदि चोरी करके बदल देना “गांठ खोल कर” के अंतर्गत आता है! आजकल TV. fridge सब चीजों में हेरा फेरी हो जाती है यहाँ तक की जहर भी नकली आने लग गया। आप श्रावक ऐसे काम करने वाले नहीं अतः इसका त्याग कर ले।

ताले पर कुंजी लगाकर :- गाडी, घर, लाकर आदि में नकली चाबी लगाना ! एक व्यक्ती जो सांप को ऐसे तैयार किया की सांप खिडकी से अंदर जाकर पैसे, चाबी आदि लाकर व्यक्ति को दे देता है और वह व्यक्ति आराम से चोरी कर लेता है! आप श्रावक ऐसी मोटी चोरी करने वाले नहीं अतः इसका त्याग आवश्यक है।

यदि अपने घर की चाबी गुम हो तो नकली चाबी बनानी पड़ी तो आगार! यदि ऐसा कुछ करना पड़े तो घर में सुचित कर देना। यदि मार्ग में एक्सीडेंट हो जाय तो उस समय दया भाव न कर लूटकर ले जाते है! इस तरह व्यक्ति को मार्ग में लूटना। ऐसी चोरी आप करने वाले नहीं है यदि त्याग नहीं किया तो अनुमोदना का दोष लगेगा। यदि आपको कोई मँहगी वस्तु अंगूठी, चैन आदि मिल जाए तो हाथ भी नहीं लगाना ! और यदि उठा भी लिया तो, उस व्यक्ति को पत्ता कर पहुँचा देना, या सरकारी कर्मचारी तक पहुंचा देना या फिर उपयोग में न लेना । सामर्थ्य हो तो पहुँचा देना। ऐसी पाँच मोटी चोरी है जिसका त्याग आवश्यक है। संचालन मंत्री नरेन्द्र मरलेचा ने किया। यह जानकारी अध्यक्ष धर्मीचंद कोठारी ने दी ।

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