Share This Post

Featured News / Featured Slider / ज्ञान वाणी

पुण्य पाप का कर्ता धर्ता हमारा अपना मन है: डाक्टर राजेन्द्र मुनि

पुण्य पाप का कर्ता धर्ता हमारा अपना मन है: डाक्टर राजेन्द्र मुनि

जैन संत डाक्टर राजेन्द्र मुनि जी ने भावना को धर्म का मुख्य अंग बतलाते हुए मन के विचारों को सदा पवित्र रखना ही भाव शुद्धि है जब जब हमारा मन काम क्रोध मद मोह लोभ की तरफ आकर्षित होता है औरों का बुरा हमारा भला सोचने लगता है वे ही अशुभ भाव कर्म बन्धन के कारण बन जाते है!जिसने भावना को पवित्र बनाने की कला सीख ली हो, जीवन में अपना ली हो वह कई प्रकार के पापों से मुक्त बन जाता है!

भाव ही नरक में एवं शुभ भाव मोक्ष में लें जाने के कारण बनते है!आज का मानव बाहर से तो अपने शरीर की वस्त्रों की घरों की सुन्दरता स्वछता पर तो जोर देता है लेकिन उसको अपने मन की चिन्ता नहीं है मन में राग द्वेष की मेरे तेरे की गंदगी भरी पड़ी रहती है यही गंदगी आगे जाकर तनको भी बीमार बना डालती है!मन स्वस्थ तो तन स्वस्थ नितिकारों की यही नीति हमें हमारे मन को सदा स्वस्थ व स्वच्छ बनाती है!मन का असर तुरंत मन पर पड़े बिन नहीं रहता!मन बीमार तो तन भी बीमार पड़े बिन नहीं रहता, मुनि जी ने राजा प्रसन्नचित का उदाहरण देते हुए कहा यदिपी वे समस्त राजकाज धन वैभव का त्याग करके जंगल में ध्यानस्थ मुनिराज बन जाते है किसी राहिगीर के मुँह से कानो में जब यह शब्द पड़ा कि राजा बुजदिल कायर है!

राज छोड़ कर जंगल में सन्यासी बन गया, इसके राज्य पर शत्रु सेना आक्रमण कर रही है!राजपरिवार को अपने अधीन कर राज्य को हड़प कर रही है!इन शब्दों को सुनकर ध्यानस्थ मुनिराज का मन डांवाडोल हो उठता है!मन से ही राजमहलो में पहुंचकर सेनापति को सेना तयार कर युद्ध मैदान में युद्ध हेतू पहुँच भी जाते है!अपने मुकुट को सँभालने के लिए सिर पर ज्यों ही हाथ पहुंचा, अचानक सम्भले धिक्कार है मुझे सन्यास लेकर भी संसार का चिंतन कर रहा हूं!में क्षमापना समता भाव के भाव जागृत होते ही राजा केवल ज्ञानी बन जाता है, मोक्ष का अधिकारी बन जाता है!

भगवान महावीर ने इसे भावों का चमत्कार बतलाते हुए कहा जो आत्मा नरक में जाने हेतू तयरी कर चुका था वही भाव शुद्धि से मोक्ष का अधिकारी बन बैठा!अत : भावना सदा उत्तम बनाए रखें!सभा में साहित्यकार श्री सुरेन्द्र मुनि जी ने विस्तार से अरिहंत भगवान के स्वरूप का विवेचन किया एवं अरिहंत बनने की पात्रता बतलाते हुए चार प्रकार के कर्म व चार प्रकार के कशाय समाप्त करने की प्रेरणा दी!महामंत्री उमेश जैन ने लुधियाना से आए हुए रूप आत्म संघ के सदस्यों का स्वागत कर सूचनाएं प्रदान की!

Share This Post

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

You may use these HTML tags and attributes: <a href="" title=""> <abbr title=""> <acronym title=""> <b> <blockquote cite=""> <cite> <code> <del datetime=""> <em> <i> <q cite=""> <s> <strike> <strong>

Skip to toolbar