चेन्नई. मनुष्य का पुण्य ही उसे मंजिल तक पहुंचाने का कार्य करता है। परमात्मा की वाणी सुनकर जीवन को पुण्यवान बनाने का प्रयास करना चाहिए।
साहुकारपेट जैन भवन में विराजित उपप्रवर्तक गौतममुनि ने कहा बहुत बड़ा सौभाग्य है कि मनुष्य जीवन के साथ-साथ गुरु भगवंतों के चरणों में बैठकर परमात्मा की दिव्यवाणी श्रवण करने का मौका मिला है। बिना पुण्य वाणी के जीवन में अच्छे साधन नही मिलते। जितने भी अच्छे संयोग और साधन मिलते है उनके पीछे सिर्फ और सिर्फ पुण्य ही कार्य करता है।
परमात्मा ने अंतिम समय में मनुष्य को शिक्षा देने के उद्देश्य से उत्तराध्ययन सूत्र दिया है। इसका अनुसरण कर जीवन को बदलने का प्रयास करना चाहिए। जो स्वयं की साधना करते हैं और दूसरों को भी साधना से जोडऩे की प्रेरणा देते हैं उन्हें साधु कहा जाता है। सच्चे मायने में श्रावक को सही मार्ग दिखाने वाला ही साधु होता है।
सागरमुनि ने कहा जीवन में आगे जाने के लिए दूसरों के प्रति मन में गलत भाव नही रखना चाहिए। अगर मनुष्य खुद के मन में दूसरों के प्रति गलत भाव रखता है तो दूसरों का बुरा हो या ना हो पर बुरा सोचने वालों का जरूर बुरा हो जाता है। अगर किसी को खुशी नहीं दे सकते तो उसे दुख देने का भी प्रयास नही करना चाहिए। जीवन में आगे जाना है तो दूसरों के प्रति हमेशा अच्छा व्यवहार करना चाहिए, तभी सफलता मिल पाएगी।