तत्त्व चिंतक श्री विजयश्रीजी म सा ने आज प्रवचन में बतलाया कि प्रत्येक मनुष्य पुण्यशाली तथा भाग्यशाली बनना चाहता हैं, किन्तु इस हेतु कर्म करना पड़ता हैं। पुण्यशाली आत्मा को दस बोल की प्राप्ति होती हैं। अनुकूल क्षेत्र, साधु संत का सामीप्य, श्रेष्ठ द्रव्य की प्राप्ति….क्रमशः।
आशुकवि पूज्या गुरूवर्या श्री कमलेशजी म सा ने आज हरियाली अमावस्या के अवसर पर हरे वर्ण की महत्वत्ता बतलाई। आंखों की रोशनी के लिए हरा वर्ण उत्तम होता हैं। उपाध्याय का वर्ण हरा होता हैं। भारतीय ध्वज में भी हरे रंग को सम्मिलित किया गया हैं। मुस्लिम सम्प्रदाय भी हरी चादर को महत्व देते हैं। अस्पताल में भी ड्रेस कोड हरा रखा जाता हैं। अमावस्या की अंधेरी रात का अंधियारा एक दीपक से मिटाया जा सकता हैं।
आंनद सेठ चरित्र: (गतांक से आगे…)
दूसरे दिन प्रातः पुनः मित्र अपनी रकम लेने पहुंच जाता हैं। आनंद अपने भंडार से सोने के बर्तन देने की कोशिश करता हैं, किन्तु वे सभी बर्तन देव की माया से उड़ने लग जाते हैं। अंत मे आनंद सेठ अपनी हवेली की चाबियां दोस्त को दे देता हैं, तथा परिवार सहित हवेली छोड़ देता हैं। आनंद अपने परिवार के साथ एक अंतहीन यात्रा की तरफ बढ़ जाता हैं। चलते- चलते बच्चे थक जाते हैं। उन्हें भूख- प्यास भी लगती हैं। आनन्द अपने बच्चों के कष्ट से बड़ा दुःखी होता हैं। तभी वह मायावी देव आकाशवाणी द्वारा आनंद को अपनी बात मानने की चेतावनी देता हैं। किंतु आनंद पर इसका तनिक भी असर नहीं होता। वो यही कहता हैं कि यह मेरा दुःख हैं, तम्हें इसमें दुःखी होने की कोई आवश्यकता नहीं। आनंद आगे बढ़ जाता हैं। चलते- चलते वो एक गांव में पहुंचते हैं। सेठानी चम्पा जिद्द करके गांव में काम ढूंढने निकलती हैं। उसकी मुलाकात एक भले व्यापारी से होती हैं। वो उसे काम भी देता हैं, तथा परिवार हेतु खाना भी देता हैं।….क्रमशः
✍🏻प्रदीप चौपड़ा जैन
(गोल्ड फील्ड, धारावी प्रवचन सार)