पम्मल श्री संध में बालभोदक तपस्वी गोतम मुनी के सानीध्य में पुज्य गुरुदेव मिश्रीमलजी मा सा की 121वीं व रुपचंदजी मा सा की 94वीं जन्मजयंती मनाई गई। इस मैके पर गौतम मुनी ने कहा कि धर्म के लिए बलिदान देना गुरु मरुधरकेसरी ने सिखाया।
उन महान संत ने धर्म की रक्षा के लिए जगह-जगह पर कठोर परिक्षाएं दी हैं। कहीं उन्हें लाठियां खानी पड़ी तो कहीं उन्हें धर्म की रक्षा के लिए अपनी गर्दन तलवार की नोक पर रखनी पड़ी लेकिन उन्होंने धर्म की रक्षा और उसके प्रचार-प्रसार का मार्ग नहीं छोड़ा।
उन्होंने बताया कि रुपमुनी ने उनके मार्ग पर चलकर मारवाड़ का नाम रौशन किया है।
इस मौके पर संघ के अध्यक्ष चंदनमल बोतरा ने भजन गाए, अरविंद गुन्देचा, प्रकाश चणोदिया व सोहन कोठारी गुणगान किया। क्रोमपेट, गुंदवाचेरी, ताम्बरम और पल्लावरम से कई लोग इस कार्यक्रम में हिस्सा लेने आए थे। गोतम प्रसादजी व साजेड़े जाप के लाभ अजना बाई दिपचंद गांधी पम्मल वाले ने लिया।