तेरापंथ के अधिराजा अपनी अहिंसा यात्रा संग पहुंचे राजराजेश्वरी नगर
राजराजेश्वरी नगर, बेंगलुरु (कर्नाटक): बेंगलुरु महानगर के उपनगरीय यात्रा के अंतिम दौर में जैन श्वेताम्बर तेरापंथ धर्मसंघ के ग्यारहवें अनुशास्ता, अखण्ड परिव्राजक, शांतिदूत आचार्यश्री महाश्रमणजी अपनी अहिंसा यात्रा के साथ बुधवार को राजराजेश्वरी नगर में पधारे तो मानों राजराजेश्वरी नगर में रहने वाले श्रद्धालुओं की वर्षों की मुराद पूरी हो गई।
राजराजेश्वरी नगर में तेरापंथ के अधिराज का शुभागमन सैंकड़ों श्रद्धालुओं के सपने को साकार करने वाला था। अपने आराध्य को अपने नगर में मंगल पदार्पण से हर्षित श्रद्धालुओं ने भव्य जुलूस के साथ अभिनन्दन किया।
जुलूस के साथ आचार्यश्री नगर स्थित नवनिर्मित तेरापंथ भवन में पधारे।
आचार्यश्री के प्रवचन से पूर्व महाश्रमणी साध्वीप्रमुखाजी ने उपस्थित श्रद्धालुओं को पावन पाथेय प्रदान करते हुए अपने जीवन में संस्कार और शांति को बनाए रखने और कृत्रिम आवश्यकताओं पर अंकुश लगाने को उत्प्रेरित किया।
इसके उपरान्त मंगल प्रवचन कार्यक्रम में पधारे आचार्यश्री ने उपस्थित श्रद्धालुओं को पावन पाथेय प्रदान करते हुए कहा कि हमारी दुनिया में पारस्परिक सहयोग चलता है। पारस्परिक सहयोग से जीवन चलता है। किसी भी कार्य में एक-दूसरे का सहयोग होता है तो कार्य आसानी से पूर्ण हो सकता है।
आदमी अपनी दिनचर्या के दौरान न जाने कितने लोगों का सहयोग करता है और सहयोग प्राप्त भी करता है। साधु संस्था को ही लें तो कोई साधु पानी की भिक्षा लाता है तो कोई साधु आहार की गोचरी ले आते हैं, कोई ठिकाणे आदि की सफाई का कार्य कर लेते हैं तो एक-दूसरे के सहयोग से सारे कार्य पूर्ण हो जाते हैं।
कोई बीमार हो गया तो उसकी सेवा कर देना, सहयोग हो गया। एक-दूसरे के सहयोग से जीवन चलता रहता है। हालांकि जीवन में कोई त्राण और शरण नहीं बन सकता। इस जीवन में कोई शरण है तो वह है धर्म की शरण।
बेंगलुरु की धरती पर 23 दीक्षाएं प्रदान करने वाले आचार्यश्री ने प्रवचन के दौरान कहा कि आज 23 साधु-साध्वियों के दीक्षा का आठवां दिन है और आज इन्हें बड़ी दीक्षा प्रदान की जानी है।
छेदोपस्थापनीय चारित्र में इन्हें स्थापित कर पंच महाव्रतों के एक-एक महाव्रत को पूर्णतया स्वीकार कराया जाना है। आचार्यश्री ने नवदीक्षितों को पावन पाथेय प्रदान करते हुए कहा कि अब देव, गुरु और धर्म के प्रति जागरूक रहें। अपने जीवन में साधना के क्षेत्र में आगे बढ़ने का प्रयास करें।
इसके उपरान्त आचार्यश्री के समक्ष नवदीक्षित साधु-साध्वियां करबद्ध उपस्थित हुए। आचार्यश्री ने आर्षवाणी का उच्चारण करते हुए एक-एक महाव्रतों को व्याख्यायित करते हुए सभी महाव्रतों सहित एक रात्रि भोजन विरमण का व्रत प्रदान किया।
साधु-साध्वियों ने अपने आराध्य को सविनय वंदन किया। इस सुअवसर को अनायास रूप में प्राप्त कर राजराजेश्वरी नगरवासी मानों प्रफुल्लित नजर आ रहे थे। मुनि धीरजकुमारजी व मुनि ऋषिकुमारजी ने अपने आठ दिनों के अनुभवों को अभिव्यक्त करते हुए अपनी हर्षाभिव्यक्ति दी। 21 नवदीक्षित साध्वीवृंद ने सामूहिक रूप में अपनी भावनाओं को अभिव्यक्ति दी और आचार्यश्री से पावन आशीर्वाद प्राप्त किया।
तदुपरान्त स्थानीय काॅर्पोरेटर श्री ए. मंजू, तेरापंथी सभा-राजराजेश्वरी के अध्यक्ष श्री कमल दुगड़ व तेयुप अध्यक्ष श्री गुलाब बांठिया ने अपनी हर्षाभिव्यक्ति दी। ज्ञानशाला के ज्ञानार्थियों ने अपनी प्रस्तुति के माध्यम से अपने आराध्य को अपनी प्रणति अर्पित की।
तेरापंथी सभा और तेरापंथ युवक परिषद के सदस्यों ने संयुक्त रूप से गीत का संगान किया। तेयुप के सदस्यों ने आचार्यश्री को 58 संकल्पों का उपहार श्रीचरणों में अर्पित किया तो आचार्यश्री ने उन्हें संकल्पों का त्याग कराया। स्थानीय महिला मण्डल ने भी गीत का संगान करने के पश्चात् अपनी भेंट आचार्यश्री के समक्ष प्रस्तुत की। कन्या मण्डल की कन्याओं ने गीत का संगान कर पूज्यचरणों की अभिवन्दना की।
चतुर्मास हेतु तैयारी पूर्ण
आचार्यश्री महाश्रमण के चातुर्मास काल के प्रवास हेतु कुम्बकगोडु स्थित ‘आचार्य तुलसी महाप्रज्ञ सेवा चेतना केन्द्र’ में सभी तैयारियां पूर्णता की ओर हैं। चार माह में देश-विदेश से आने वाले हजारों श्रावक-श्राविकाओं के लिए 1500 से अधिक कुटिरों का निर्माण कार्य पूर्ण हो चुका है।
साथ ही उनकी सुविधाओं के लिए आवास कार्यालय, चिकित्सालय, कैंटिन, शोपिंग हब, बच्चों के लिए किडजोन आदि का निर्माण किया गया है। प्रवचन सभा के लिए महाश्रमण समवसरण भी निर्मित है। जिसमें आचार्यश्री प्रतिदिन धर्मसभा करेंगे।
🙏🏻संप्रसारक🙏🏻
*सूचना एवं प्रसारण विभाग*
*जैन श्वेताम्बर तेरापंथी महासभा*