*🏳️🌈प्रवचन वैभव🏳️🌈*
1️⃣3️⃣
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61)
धर्म का
फल जानकर
धर्म करते हो,तो फिर
पाप का
फल जानकर
पाप क्यों नहीं छोड़ देते.?
62)
पाप छूटना ही
धर्म की सफलता है.!
63)
जो आपका है
वो आपसे दूर नही जाएगा,
पदार्थ तो आते जाते रहते है,
अर्थात उन पर आपका
अधिकार नही हैं.!
64)
देह के स्वरूप का
सम्यक चिंतन करोगे तो
अवश्य ही दुखमुक्ति मिलेगी.!
65)
रसपूर्वक
पाप प्रवृत्ति करने से
तीव्रकर्मो का बंध होता है.!
🌧️
*प्रवचन प्रवाहक:*
*मार्गस्थ कृपानिधि*
*सूरि जयन्तसेन कृपापात्र*
श्रुत संस्करणप्रेमी,शिष्यरत्न
मुनि श्रीवैभवरत्नविजयजी म.सा.
*🦚श्रुतार्थ वर्षावास 2024🦚*
श्रीमुनिसुव्रतस्वामी नवग्रह जैनसंघ
@ कोंडीतोप, चेन्नई महानगर