चेन्नई. रायपुरम स्थित सुमतिनाथ जैन भवन में विराजित आचार्य मुक्तिप्रभ सूरी के सान्निध्य में हितप्रभ मुनि ने कहा सब पापों का मूल लोभ, सब रोगों की जड़ जिह्वा और सारे शौकों का मूल स्नेह है। इन तीनों को जो छोड़ देता है वह व्यक्ति जगत में सुखी रहता है।
भगवान महावीर ने कहा है क्रोध से प्रीति, अहंकार से नम्रता और माया-कपट से मित्रता का नाश होता है लेकिन लोभ से मनुष्य के सभी सद्गुण नष्ट हो जाते हैं। पहले तो मानव धन प्राप्ति के लिए बेचैन रहता है मिलने पर ज्यादा बेचैन हो जाता है।
ज्यों-ज्यों धन-वैभव ऐश्वर्य बढ़ता है उसकी बेचैनी बढ़ती जाती है। जैसे-जैसे लाभ बढ़ता है लोभ भी बढ़ता चला जाता है। मुनि ने कहा संतोषी सदा सुखी। यदि सुखी होना चाहते हैं तो जीवन में संतोष अपनाएं।