Share This Post

Featured News / ज्ञान वाणी

पापों की सीढ़ियों को बंद करने के बाद बढ़ें आगे: साध्वी सिद्धिसुधा

पापों की सीढ़ियों को बंद करने के बाद बढ़ें आगे: साध्वी सिद्धिसुधा

चेन्नई. साहुकारपेट के जैन भवन में विराजित साध्वी सिद्धिसुधा ने श्रीपाल मैना चारित्र के माध्यम से कहा कि जीवन का मिलना जितना मुस्किल है उससे भी मुश्किल इसको सफल बनाना है।

यहां जन्म लेने के बाद भी अगर इस बात को नहीं समझे तो जीवन बेकार हो जाएगा। उन्होंने कहा कि मनुष्य को मौके का लाभ लेने के लिए हर वक्त तैयार होना चाहिए।

वर्तमान के समय को देखते हुए अगर मनुष्य मौके का लाभ लेने के लिए खुद को तैयार नहीं रखेगा तो वह बिल्कुल पीछे हो जाएगा।

आगे वही जाते हैं जो खुद को हर वक्त तैयार रखते हैं। साध्वी सुविधि ने कहा कि लोग सफलताओ की सीढ़ियों पर तो चढ़ रहे है लेकिन पाप के दरवाजे खुले छोड़ दिये है।

हमे आज का सूत्र यही संदेश देता है कि आगे जाने से पहले पाप के दरवाजों को पूरी तरह से बंद कर देना चाहिए। पापों के दरवाजों को जब तक बंद नहीं करेंगे तब तक साफलता साथ नहीं देगी। उन्होंने कहा कि सफल तो सब होना चाहते है लेकिन पाप के दरवाजों को बंद नहीं कर रहे है।

जीवन के अशांति और पापों से बचने के उपाय इस सूत्र में मिल जाएंगे। लेकिन उसके लिए मनुष्य को सच्चाई से समय देने की जरूरत है। जब तक मतलब नहीं समझ मे आएगा तब तक आगे बढ़ना संभव नहीं हो सकता है। उन्होंने कहा कि सत्य को असत्य करना आसान नहीं है। यहा रह कर मनुष्य भले ही सही को गलत साबित कर दे लेकिन इसका परिणाम जरूर भुगतना पड़ता है।

मनुष्य को जीवन मे आगे जाना है तो उसे चोरी कभी नहीं करनी चाहिए। बिना अनुमति के किसी की वस्तु नहीं लेना चाहिए। ऐसा करना नर्क के मार्ग को तेजी से खोलता है। उन्होंने कहा कि स्वामी अरत्व यही संदेश देता है कि बिना किसी से पूछे उसकी वस्तु लेना बहुत बड़ा दोष है।

मनुष्य को जीवन मे छोटी छोटी बातों को ध्यान रखना चाहिए। कौन सी बात से कैसा दोष लग जाये किसी को पता नहीं चलता है। उन्होंने कहा कि जीव अरत्व मनुष्य को जीव हत्या से बचने का संदेश देता है। जैसे मनुष्य को उसका जीवन प्यारा है वैसे ही जीवों को भी उनका जीवन प्यारा होता है।

भले ही जीव बोल नहीं सकते लेकिन मनुष्य का जीवो के प्रति अच्छा भाव होना चाहिए। जीवो की रक्षा करने की भावना रखने वालों का परमात्मा साथ देते हैं। उन्होंने कहा कि मनुष्य तप सही से करता नहीं है लेकिन खुद को तपश्वि बताता है।

ऐसा कर तप में भी मनुष्य चोरी करता है। इन सब बातों को मनुष्य दूसरो से तो छिपा सकता है लेकिन खुद की आत्मा से नहीं छिपा सकता है। इसलिए जितना हो सके इन चीजों से बच जाना चाहिए। अन्यथा जीवन इस तरह नर्क में पहुचेगा की वापस आना मुस्किल हो जाएगा।

Share This Post

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

You may use these HTML tags and attributes: <a href="" title=""> <abbr title=""> <acronym title=""> <b> <blockquote cite=""> <cite> <code> <del datetime=""> <em> <i> <q cite=""> <s> <strike> <strong>

Skip to toolbar