चातुर्मासिक प्रवचन: सम्यक और मिथ्यात्व दृष्टि का अंतर बताते हुए प्रवीण ऋषि ने कहा-
Sagevaani.com @रायपुर। बीज जैसा होता है, वैसा ग्रहण करता है। करेला और गन्ना एक ही जमीन पर उगते हैं। जमीन से एक तरह के पोषक तत्व लेते हैं। पानी लेते हैं। सूरज से ऊर्जा भी उन्हें समान मिलती है। इसके बावजूद एक कड़वा होता है और एक मीठा होता है। सम्यक और मिथ्यात्व दृष्टि में अंतर है। टैगोर नगर के श्री लालगंगा पटवा भवन में चल रहे चातुर्मासिक प्रवचन में गुरुवार को उपाध्याय प्रवर प्रवीण ऋषि ने ये बातें कही।
उन्होंने कहा कि पानी बदलने से फल नहीं बदलता। जमीन बदलने से फल नहीं बदलता। यह बीज का सामर्थ्य है कि उसे क्या बनना है। रोजमर्रा की जिंदगी में आप एक शब्द का इस्तेमाल अक्सर करते हैं। मुझे किसी ने नजर लगा दी। मेरे बच्चे को किसी ने नजर लगा दी। मेरे व्यापार पर किसी ने नजर लगा दी। इस तरह की बातें आने पर मेरे अंतर्मन में एक सवाल उठता है। एक दुर्जन हमें देखता है तो हमारा दुर्भाग्य शुरू हो जाता है।
जब एक संत हमारी ओर देखते हैं तो हमारे सौभाग्य की शुरुआत क्यों नहीं होती? एक व्यक्ति आपको बुरी नजर से देखता है तो आपका बुरा वक्त शुरू हो जाता है। आपके परिजन, आपके चाहने वाले आपको अच्छी दृष्टि से देखते हैं तो आपका अच्छा समय क्यों नहीं आता? दरअसल, ऐसा कुछ नहीं है। ये मन का भ्रम है। आप अपनी नजर बदलिए। नजारे बदल जाएंगे। ऐसा तो नहीं है कि इस दुनिया में हर व्यक्ति आपका बुरा ही चाहता है। आपका अच्छा चाहने वाले बहुत होंगे। एक बार आप उनकी तरफ देखिए तो सही।
भगवान महावीर के जीवन पर
आधारित प्रवचन कर रहे गुरुवर
रायपुर श्रमण संघ के अध्यक्ष ललित पटवा ने बताया कि गुरुवर परम पूज्य उपाध्याय प्रवर प्रवीण ऋषि जी महाराज साहब अभी भगवान महावीर के जीवन पर आधारित प्रवचन कर रहे हैं। इसमें वे लोगों को किस तरह जिंदगी जीनी है, इस बारे में विस्तार से जानकारी दे रहे हैं। गुरुवर के प्रवचन रोज सुबह 9 से 10 बजे तक टैगोर नगर स्थित श्री लालगंगा पटवा भवन में जारी हैं। किसी भी धर्म-समाज का व्यक्ति कथा स्थल पर पहुंचकर प्रवचन का लाभ ले सकता है।