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पाना चाहते हैं तो मन को बदले: उपप्रवृत्तिनि संथारा प्रेरिका सत्य साधना ज गुरुणी मैया

पाना चाहते हैं तो मन को बदले: उपप्रवृत्तिनि संथारा प्रेरिका सत्य साधना ज गुरुणी मैया

हमारे भाईन्दर में विराजीत उपप्रवृत्तिनि संथारा प्रेरिका सत्य साधना ज गुरुणी मैया आदि ठाणा 7 साता पूर्वक विराजमान हैl वह रोज हमें प्रवचन के माध्यम से नित नयी वाणी सुनाते हैं, वह इस प्रकार हैंl

बंधुओं जैसे कि शांति चाहिए तो और शांति से बची है, जिंदगी में सदाबहार प्रश्न और आनंद चित् रहने के लिए ना तो कर की जरूरत होती है नहीं सत्ता संपत्ति की नहीं आलीशान मकान दुकान फैक्ट्री और ऑफिस की जरूरत होती हैl यह सब सुविधा है दे सकते हैं शांति नहीं शांति और जीवन की खुशियां कहीं और छुपी हुई हैl जब हम जानना चाहते हैं कि सदाबहार प्रश्न कैसे रहे एक बात निश्चित समझ ले प्रशांत और उसे नहीं बल्कि अपने चित की चेतना से उपार्जित की जाती हैl

आज तो आदमी की जेब में ऐसा सीका है जिसके एक और खुशी दूसरी और ना खुशी और ना उम्मीद खुद ही हुई हैl व्यक्ति जब सिक्का निकाल कर उसे देखा है तो उसे खुशी नजर आती है और वह खुश होता हैl कभी जब वह सिक्के का भाग दूसरे देखा है तो उसे ना खुशी और ना उम्मीद नजर आती हैl वह दुखी हो जाता है अपनी जेब में सदाबहार सीखा रखो जिसमें दोनों को खुशी हो जब चिट को देखो खुशी हो पट को देखो खुशी होl जब भी इसे देखो तुम्हें शांति और खुशी की अनुभवता मिले अगर आप वाकई में प्रशांत और शांति पाना चाहते हैं तो मन को बदलेl

मां की दिशा और परिणामों को बदले जीवन में जो मिले उसे प्रेम से स्वीकार करेंl तुम दुखी हो क्योंकि तुम जो चाहते हो पसंद करते हो वह तुम्हें नहीं मिल पा रहा हैl प्रश्न रहने की कला तो इसमें जो तुम्हें मिल रहा है उसी को पसंद करना शुरू कर देl ईश्वर हमें सब वह नहीं देता जो हम चाहते हैं एवं पर्व प्रयूषण बहुत ही अच्छी तरह से चल रहे हैंl अखंड जाप चालू है प्रश्न मंच इत्यादि गुरुणीमैया अच्छे से सीख रहे हैं वह मेहमानों का आ वागमन चालु हैl

इनहीं शुभ भावों के साथ जय जिनेंद्र, जय महावीर,🌺🌺🌺🌺

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