बेंगलुरु। यहां अक्कीपेट जैन संघ के तत्वाधान में आयोजित हो रहे पर्युषण महापर्व के सातवें दिन रविवार को सवेरे नाहर आराधना भवन में प्रतिक्रमण, मंदिर में स्नात्र पूजा पाठ एवं वासपूज्य स्वामी, पार्श्वनाथ, महावीर स्वामी की प्रक्षाल पूजा का आयोजन करवाया गया।
सवेरे आठ बजे सभी तपस्वियों के लिए सामूहिक पच्छखान का आयोजन किया गया था जिसमें सिद्धितप, मासक्षमन, 15 उपवास व 8 उपवास के तपस्वियों ने बड़े उत्साह और उमंग के साथ हिस्सा लिया। सामूहिक पच्छखान का जुलूस अक्कीपेट मंदिर से प्रारंभ होकर सुल्तानपेट होते हुए नाहर आराधना भवन पहुँचकर धर्मसभा में परिवर्तित हुआ।
धर्मसभा को संबोधित करते हुए आचार्यश्री देवेंद्रसागरसूरीश्वरजी ने कहा की पर्युषण का आमतौर पर यह मतलब है कि मन के सभी विकारों का खात्मा करना। यानी कि मन में उठने वाले सभी प्रकार के बुरे विचार को इस त्योहार के दौरान खत्म करने का व्रत ही पर्युषण महापर्व है।
इन विकारों पर जीत हासिल कर शांति और पवित्रता की तरफ खुद को ले जाने का उपाय ढूंढते हैं भगवान महावीर के सिद्धांत हमे इस बात का ध्यान रखने के लिये प्रेरणा देते हैं कि इस पर्व में हमें धर्म के बताए गए रास्ते पर चलें और आत्मसाधना में लीन हो जाएं।
प्रवचन के बाद ललित भाई ने जानकारी साझा करते हुए कहा कि सोमवार को वारसा सूत्र का पाठ गुरुदेव अपने श्रीमुख से करेंगे वारसासूत्र को घर पे ले जाने का लाभ राजकेसरी पेपर्स वालों ने लिया।