श्री जैन रत्न हितैषी श्रावक संघ-तमिलनाडु के तत्वावधान में पर्युषण पर्व भादप्रद शुक्ल प्रतिपदा तिथि पर भगवान महावीर के अनेकान्तवाद सिध्दांत पर विवेचन दिनांक 28 अगस्त 2022 को। रविवार को स्वाध्याय भवन, साहूकारपेट, चेन्नई में श्री जैन रत्न हितैषी श्रावक संघ, तमिलनाडु के तत्वावधान में पर्युषण पर्व भादप्रद प्रतिपदा के अवसर पर अंतकृतदशा सूत्र के पंचम वर्ग के मूल पाठ का वांचन स्वाध्यायी संगीताजी बोहरा व प्रियाजी मुथा ने किया | स्वाध्यायी प्रियाजी मुथा ने पांचवे वर्ग में श्रीकृष्ण वासुदेव राजा की दस महारानीयों पद्मावती, गौरी, गांधारी, लक्ष्ममण, सुसीमादेवी, जाम्बवती, सत्यभामा, रुक्मिणी, मूलश्री, मूलदत्ता के बाइसवें तीर्थंकर प्रभु अरिष्टनेमि के पास दीक्षित होने, चारित्र धर्म के पालन, संलेखना-संथारे करते हुए सिद्ध-बुद्ध-मुक्त होने का रोचकपूर्ण वर्णन किया | आयुष्य कर्म का बंध जीवन में कब होता हैं, इस पर विस्तृत जानकारी देते हुए कहा कि हमें हर समय जागृत रहना चाहिए, पता नहीं के आयुष्य का बंध कब हो जाये। अतः हमें हमेशा शुभ अध्यवसाय में रहना चाहिये, हमें क्रोध-मान-माया-लोभ रूपी कषायों को मंद रखना चाहिए |
श्रीमती संगीताजी बोहरा ने भगवान महावीर के अनेकान्तवाद सिध्दांत पर विवेचन करते हुए कहा कि एकांतवाद मिथ्यादर्शन हैं और अनेकान्तवाद सम्यग्दर्शन हैं एकांतवाद की मान्यता पर चलने वाला जीव मिथ्यादृष्टि होता हैं और अनेकान्तवाद की मान्यता पर चलने वाला सम्यग्दृष्टि होता हैं | प्रभु महावीर द्वारा प्रतिपादित व बताया गया अनेकान्तवाद वाला सिध्दांत जैन दर्शन का हृदय हैं | एकांतवाद एक पक्ष को ही जानने व मानने वाला होता हैं, अनेकान्तवाद सभी पक्षों को जानने वाला होता हैं | प्रभु महावीर के फरमाए सिद्धांतों अहिंसा, साक्षेपता, सहअस्तित्व व इंद्रियों के दमन, कषायों पर विजय, आत्मा, पर्यायों आदि विषयों पर अपने भाव रखें ! श्रावक संघ के प्रचार प्रसार सचिव आर नरेन्द्र कांकरिया ने कहा कि आज जैन धर्म-तत्वों पर आधारित प्रतियोगिता आयोजित की गई और स्वाध्यायी के रुप में सेवा प्रदान करने वाले श्राविकाओं द्वारा अनेक श्रावक – श्राविकाओं की उपस्थिति में स्वाध्याय भवन में अष्ठ दिवसीय पर्वाराधना गतिमान हैं और दैनिक रुप से स्वाध्याय भवन में सायंकालीन देवसीय प्रतिक्रमण सुश्रावक श्री बादलचंदजी बागमार शुद्ध व स्पष्ठ वाणी में कर रहे हैं व सुश्रावक श्री कांतिलालजी तातेड़ तीन मनोरथ चिन्तन व जैन संकल्प करा रहे हैं |
प्रवचन सभा में बसंतीदेवीजी कर्णावट, शोभादेवीजी कर्णावट, प्रकाशदेवीजी बोथरा, सुधाजी सुराणा, जयश्रीजी चोरडिया,राखीजी सांखला, नीतुजी चोरडिया, मनीषाजी, शशिजी, अक्षिताजी कांकरिया, मैनाबाईजी बैद, कवलियादेवीजी बागमार लीलादेवीजी ओस्तवाल, सुबीताजी सुराणा, प्रियंकाजी सुराणा, श्रीमती रतनलालजी बाफना प्रकाशचंदजी ओस्तवाल, दीपकजी श्रीश्रीमाल, अम्बालालजी कर्णावट, महावीरजी कर्णावट, प्रीतमजी बांठिया,जितेंद्रजी डाकलिया, जिनेन्द्रजी सांखला, मोहितजी छाजेड़ सहित अनेक श्रावक श्राविकाओं की सामायिक परिवेश में उपस्थिति प्रमोदजन्य रहीं | उपस्थित श्रद्धालुओं ने उपवास- एकासन आदि व्रत-नियमों के प्रत्याख्यान किये | वरिष्ठ स्वाध्यायी सुश्रावक श्री चम्पालालजी बोथरा ने मंगल पाठ सुनाया | श्रमण भगवान महावीर, तीर्थंकरों,आचार्य भगवन्तों, उपाध्याय भगवन्त, साध्वी प्रमुखा महासतीजी व चरित्र आत्माओं की जयजयकार के साथ पर्युषण पर्व भादप्रद शुक्ल प्रतिपदा तिथि को साधना-आराधना सहित मनाया गया |
प्रेषक :-
श्री जैन रत्न हितैषी श्रावक संघ, तमिलनाडु
पता :- श्री जैन रत्न हितैषी श्रावक संघ,24/25 बेसिन वाटर वर्क्स स्ट्रीट,साहूकारपेट, चेन्नई 600 001 तमिलनाडु. मोबाईल 98411 48948.