श्री जैन रत्न हितैषी श्रावक संघ-तमिलनाडु के तत्वावधान में पर्युषण पर्व भादप्रद शुक्ल तीज तिथि को पूज्य प्रवर्त्तक पन्नालालजी म.सा की जन्मजयंति तप-त्याग पूर्वक दिनांक 30 अगस्त 2022 को मनाई गई।
आज मंगलवार दिनांक 30 अगस्त 2022 को स्वाध्याय भवन, साहूकारपेट चेन्नई में श्री जैन रत्न हितैषी श्रावक संघ, तमिलनाडु के तत्वावधान में पर्युषण पर्व भादप्रद शुक्ल तीज के अवसर पर पूज्य प्रवर्तक श्री पन्नालालजी म.सा की जन्मजयन्ति तप-त्याग पूर्वक मनाई गई | वरिष्ठ स्वाध्यायी श्री चम्पालाल जी बोथरा ने जीवन परिचय प्रस्तुत कर गुणगान करते हुए बताया कि प्रवर्तक श्री पन्नालालजी म.सा ने स्वाध्याय संघ की नींव गुलाबपुरा में रखी,उस नींव को आचार्य भगवन्त पूज्यश्री हस्तीमलजी म.सा ने पल्लवित-पुष्पित करते हुए विशाल वृक्ष का रुप दिया | गुणगान करते हुए आर नरेन्द्रजी कांकरिया ने कहा पूज्य प्रवर्तक दीन दयाल धन्य-धन्य गुरु पन्नालाल व प्रथम स्वाध्यायी के रुप में सेवा देने वाले श्री सोहनलालजी प्राज्ञ प्रवर्त्तक की परम्परा में दीक्षित हुए व आशु कवि श्री सोहनलालजी म.सा ने प्राज्ञ संघ में आचार्य के रुप में जिनशासन की महती सेवाएं की | श्रीअंतकृतदशा सूत्र के छठे वर्ग व सातवें वर्ग के मूल पाठ का वांचन स्वाध्यायी श्रीमती प्रियाजी मुथा व श्रीमती संगीताजी बोहरा ने किया |
स्वाध्यायी प्रियाजी मुथा ने विजय राजा व श्रीदेवी रानी के पुत्र अतिमुक्त कुमार के बालवय में गौतम गणधर के संग गोचरी में अपने यहां ले जाने व प्रभु महावीर के दर्शन-वन्दन व धर्मकथा सुनकर माता-पिता से आज्ञा लेकर दीक्षित हुए व प्रभु ने उनका नामकरण एवन्ता मुनिवर के नाम से किया | एवन्ता मुनिवर ने ग्यारह अंगों के अध्ययन करते हुए दीर्घ काल श्रमण चारित्र का पालन व गुणरत्न तप का आराधन कर विपुलाचल पर्वत पर सिद्ध-बुद्ध-मुक्त हुए व सातवे वर्ग में वर्णित सिद्ध-बुद्ध-मुक्त हुई चरित्र आत्माओं का नाम सहित वर्णन किया |
श्रीमती संगीताजी बोहरा ने तप शब्द का अर्थ जो तत्काल पवित्र कर दे बताया | मोक्ष मार्ग के चार मार्गों में से एक मार्ग तप को भी बताया गया हैं | तप की अनेक आगमों में बताई व्याख्याएं की | छह बाहीय व छह आभ्यान्तर तप अनशन, उनोदरी, भिक्षाचरी, रसपरित्याग, कायक्लेश, प्रतिसंलीनता, प्रायश्चित, विनय, वैयावृत्य, स्वाध्याय, ध्यान, कायोत्सर्ग पर विवेचन किया |
श्रावक संघ के प्रचार प्रसार सचिव आर नरेन्द्र कांकरिया ने बताया कि दैनिक रुप से श्रवण करने वाली श्राविकाओं द्वारा महापर्व संवत्सरी के पावन प्रसंग पर आलोयणा का पाठ किया जायेगा व अंतकृतदशा सूत्र में वर्णित चरित्र आत्माओं के तपमय जीवन पर आधारित सुन्दर प्रस्तुति दी जायेगी | अनेक श्रावकों की उपस्थिति में दैनिक रुप से स्वाध्याय भवन में सायंकालीन देवसीय प्रतिक्रमण सुश्रावक श्री बादलचंदजी बागमार शुद्ध व स्पष्ठ वाणी में कर रहे हैं व सुश्रावक श्री कांतिलालजी तातेड़ तीन मनोरथ चिन्तन व जैन संकल्प करा रहे हैं |
प्रवचन सभा में सुधाजी सुराणा, शोभादेवीजी कर्णावट बसंतीदेवीजी कर्णावट प्रकाशदेवीजी बोथरा, मनीषाजी कांकरिया,जयश्रीजी चोरडिया,कवलियादेवीजी बागमार, उर्मिलादेवीजी कांकरिया, राखीजी सांखला,लीलादेवीजी ओस्तवाल, सुबीताजी सुराणा, प्रियंकाजी सुराणा, श्रीमती जबरचंदजी बोथरा, श्रीमती रतनलालजी बाफना, श्री शान्तनुजी कर्णावट, जिनेन्द्रजी सांखला, प्रकाशचंदजी ओस्तवाल, अम्बालालजी कर्णावट, महावीरजी कर्णावट, प्रीतमजी बांठिया सहित अनेक श्रावक श्राविकाओं की सामायिक परिवेश में उपस्थिति प्रमोदजन्य रहीं | उपस्थित श्रद्धालुओं ने उपवास- एकासन आदि व्रत-नियमों के प्रत्याख्यान किये | वरिष्ठ स्वाध्यायी सुश्रावक श्रीरुपराजजी सेठिया ने मंगल पाठ सुनाया | श्रमण भगवान महावीर, तीर्थंकरों, आचार्य भगवन्तों, उपाध्याय भगवन्त, पूज्य प्रवर्तक पन्नालालजी, साध्वी प्रमुखा महासतीजी व चरित्र आत्माओं की जयजयकार के साथ पर्युषण पर्व भादप्रद शुक्ल तीज तिथि को साधना-आराधना सहित मनाया गया।
प्रेषक :-
श्री जैन रत्न हितैषी श्रावक संघ, तमिलनाडु
पता :- श्री जैन रत्न हितैषी श्रावक संघ,24/25 बेसिन वाटर वर्क्स स्ट्रीट,साहूकारपेट, चेन्नई 600 001 तमिलनाडु.