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पर्युषण पर्व भादप्रद शुक्ल दूज तिथि पर श्रमणोपासक सुदर्शन व अर्जुन अणगार के जीवन चरित्र का वांचन

पर्युषण पर्व भादप्रद शुक्ल दूज तिथि पर श्रमणोपासक सुदर्शन व अर्जुन अणगार के जीवन चरित्र का वांचन

आज सोमवार दिनांक 29 अगस्त 22 को स्वाध्याय भवन,साहूकारपेट,चेन्नई में श्री जैन रत्न हितैषी श्रावक संघ, तमिलनाडु के तत्वावधान में पर्युषण पर्व भादप्रद दूज के अवसर पर अंतकृतदशा सूत्र के छठे वर्ग के मूल पाठ का वांचन स्वाध्यायी श्रीमती प्रियाजी मुथा व श्रीमती संगीताजी बोहरा ने किया | स्वाध्यायी प्रियाजी मुथा ने छठे वर्ग में मंकाई,किकंम आदि पंद्रह गाथापति व अर्जुन माली के चोईसवें तीर्थंकर भगवान महावीर के पास दीक्षित होने,चारित्र धर्म के पालन,संलेखना -संथारे करते हुए सिद्ध-बुद्ध-मुक्त होने का रोचकपूर्ण वर्णन किया | अर्जुनमाली ने श्रमणोपासक सुदर्शन का संग किया व प्रभु महावीर के दर्शन-वन्दन करने गये व अर्जुनमाली उसी क्षण प्रभु के पास दीक्षित हो अर्जुन अणगार बन गए, आजीवन बेले-बेले की तपस्या की आज्ञा लेकर विचरण करने लगे | नगरवासियों द्वारा दिये गए भारी उपसर्गों व कटु वचनों को समभाव पूर्वक सहन किया व छह महीनों के चरित्र काल में ही सारे कर्मों की निर्जरा करके संलेखना-संथारा कर सिद्ध-बुद्ध- मुक्त हुए |

श्रीमती संगीताजी बोहरा ने जयणा अर्थात विवेक जीवन के हर कार्य में जरूरी हैं | दशवैकालिक सूत्र में प्रभु द्वारा फरमाई गयी गाथा का वर्णन करते हुए बताया कि प्रभु महावीर ने कहा हैं कि जो जीव चलने, बैठने, उठने, सोने, खाने, पीने आदि जीवन की हर क्रिया में विवेक रखता हैं वो पाप कर्मों के बंध से बच जाता हैं | पानी भले ही प्रचुर मात्रा में उपलब्ध हो पर हमें उस जीवन में सहयोगी पानी का दुरुपयोग नहीं करना चाहिए अर्थात व्यर्थ नहीं करना चाहिए |

श्रावक संघ के प्रचार प्रसार सचिव आर नरेन्द्र कांकरिया ने बताया कि दैनिक रुप से श्रवण करने वाली श्राविकाओं द्वारा संवत्सरी के पावन पर्व के अवसर पर अंतकृतदशा सूत्र में वर्णित चरित्र आत्माओं के तपमय जीवन पर आधारित सुन्दर प्रस्तुति दी जायेगी | स्वाध्यायी के रुप में सेवा प्रदान करने वाले श्राविकाओं द्वारा अनेक श्रावक – श्राविकाओं की उपस्थिति में स्वाध्याय भवन में अष्ठ दिवसीय पर्वाराधना गतिमान हैं और दैनिक रुप से स्वाध्याय भवन में सायंकालीन देवसीय प्रतिक्रमण सुश्रावक श्री बादलचंदजी बागमार शुद्ध व स्पष्ठ वाणी में कर रहे हैं व सुश्रावक श्री कांतिलालजी तातेड़ तीन मनोरथ चिन्तन व जैन संकल्प करा रहे हैं |

 प्रवचन सभा में बसंतीदेवीजी कर्णावट, प्रकाशदेवीजी बोथरा, सुधाजी सुराणा, शोभादेवीजी कर्णावट, नीतुजी चोरडिया, मनीषाजी कांकरिया जयश्रीजी चोरडिया, राखीजी सांखला, मैनाबाईजी बैद, कवलियादेवीजी बागमार लीलादेवीजी ओस्तवाल, सुबीताजी सुराणा, प्रियंकाजी सुराणा, श्रीमती रतनलालजी बाफना श्री इंदरचंदजी कर्णावट, सूर्यप्रकाशजी चोरडिया, जिनेन्द्रजी सांखला, मोहितजी छाजेड़ प्रकाशचंदजी ओस्तवाल, अम्बालालजी कर्णावट, महावीरजी कर्णावट, प्रीतमजी बांठिया, रिखबचंदजी गौतमचंदजी सहित अनेक श्रावक श्राविकाओं की सामायिक परिवेश में उपस्थिति प्रमोदजन्य रहीं |

उपस्थित श्रद्धालुओं ने उपवास- एकासन आदि व्रत-नियमों के प्रत्याख्यान किये | वरिष्ठ स्वाध्यायी सुश्रावक श्री चम्पालालजी बोथरा ने मंगल पाठ सुनाया | श्रमण भगवान महावीर, तीर्थंकरों, आचार्य भगवन्तों, उपाध्याय भगवन्त, साध्वी प्रमुखा महासतीजी व चरित्र आत्माओं की जयजयकार के साथ पर्युषण पर्व भादप्रद शुक्ल दूज तिथि को साधना-आराधना सहित मनाया गया |

प्रेषक :-

श्री जैन रत्न हितैषी श्रावक संघ, तमिलनाडु

पता :- श्री जैन रत्न हितैषी श्रावक संघ,24/25 बेसिन वाटर वर्क्स स्ट्रीट,साहूकारपेट, चेन्नई 600 001 तमिलनाडु.

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