शनिवार दिनांक 27 अगस्त 22 को स्वाध्याय भवन, साहूकारपेट,चेन्नई में श्री जैन रत्न हितैषी श्रावक संघ, तमिलनाडु के तत्वावधान में पर्युषण पर्व अमावस्या के अवसर पर अंतकृतदशा सूत्र के चतुर्थ वर्ग के मूल पाठ का वांचन स्वाध्यायी संगीताजी बोहरा व प्रियाजी मुथा ने किया | स्वाध्यायी प्रियाजी मुथा ने द्वारिका नगरी के वासुदेव राजा व धारिणी माता के पुत्रों जालिकुमार, मयालि, उवयालि, पुरुषसेन, वारिसेन, कृष्ण व रानी रुक्मिणी के पुत्र प्रधुम्न, कृष्ण व रानी जाम्बवती के पुत्र शाम्बकुमार, प्रधुम्न व रानी वैदर्भी के राजकुमार अनिरुद्ध कुमार, राजा समुद्रविजय व रानी शिवादेवी के राजकुमारों सत्यनेमि व दृढनेमि के जीवन चरित्र, संयम, संलेखना-संथारा सिद्ध-बुद्ध- मुक्त होने का रोचकपूर्ण वर्णन किया |
श्रीमती संगीताजी बोहरा ने आचारांग सूत्र के पहले सूत्र में वर्णित मैं कौन हूं, सोहम अर्थात आत्मा हूं, आत्मा, इंद्रियों, अतीन्द्रिय, नरक-तिर्यंच-मनुष्य-देव इन चार गतियों में क्या हैं, जीव-अजीव में ताकतवर कौन आदि विषयों पर तत्वपूर्ण भाव रखें ! श्रावक संघ के प्रचार प्रसार सचिव आर नरेन्द्र कांकरिया ने जानकारी दी कि आज जैन धर्म-तत्वों व प्रवचन पर आधारित प्रश्नोत्तरी व लिखित परीक्षा आयोजित की गई | स्वाध्यायी के रुप में सेवा प्रदान करने वाले श्राविकाओं द्वारा अनेक श्रावक – श्राविकाओं की उपस्थिति में स्वाध्याय भवन में अष्ठ दिवसीय पर्वाराधना गतिमान हैं |
प्रवचन सभा में बसंतीदेवी कर्णावट, शोभादेवीजी कर्णावट, राखीजी सांखला, नीतुजी चोरडिया, मनीषाजी, शशिजी कांकरिया कवलियादेवीजी बागमार लीलादेवीजी ओस्तवाल, सुबीताजी सुराणा, प्रियंकाजी सुराणा प्रकाशचंदजी ओस्तवाल, महावीरजी कर्णावट, प्रीतमजी बांठिया, जितेंद्रजी डाकलिया, मोहितजी छाजेड़ सहित अनेक श्रावक श्राविकाओं की सामायिक परिवेश में उपस्थिति प्रमोदजन्य रहीं | उपस्थित श्रद्धालुओं ने उपवास-एकासन आदि व्रत-नियमों के प्रत्याख्यान किये | श्रावक श्री अम्बालालजी कर्णावट ने मंगल पाठ सुनाया | श्रमण भगवान महावीर, तीर्थंकरों, आचार्य भगवन्तों, उपाध्याय भगवन्त, साध्वी प्रमुखा महासतीजी व चरित्र आत्माओं की जयजयकार के साथ पर्युषण पर्व अमावस्या तिथि को साधना-आराधना सहित मनाया गया |
प्रेषक :-
श्री जैन रत्न हितैषी श्रावक संघ, तमिलनाडु
पता :- श्री जैन रत्न हितैषी श्रावक संघ,24/25 बेसिन वाटर वर्क्स स्ट्रीट,साहूकारपेट, चेन्नई 600 001 तमिलनाडु.