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परोपकार की भावना होनी चाहिए पवित्र: साध्वी सुमित्रा

परोपकार की भावना होनी चाहिए पवित्र: साध्वी सुमित्रा

चेन्नई. कोडमबाक्कम-वड़पलनी जैन भवन में विराजित साध्वी सुमित्रा के सानिध्य में हो रहे पैसठिया जाप में रविवार को राहु जाप हुवा। उन्होंने कहा गृहस्त जीवन मे रहकर सांसारिक कार्यो को करते हुए भी मनुष्य को उसके अच्छे कर्मों की वजह से मोक्ष की प्राप्ति हो सकती है। मोक्ष के मार्ग के लिए एक बार जो रिजर्ब हो गया उसको मोक्ष की प्राप्ति होनी ही है।

मनुष्य करोड़ो की संपत्ति रखता है और मरने के बाद सारी संपत्ति यही रखी रह जाती है। मेहनत से जुटाई गई संपत्ति का लाभ दूसरे उठाते है। कुछ दिन तक उस व्यक्ति को लोग याद करते है फिर भूल जाते है। लेकिन परोपकार के कार्य करने वालो को मोक्ष की तो प्राप्ति होती ही है और लोग उसके अच्छे कार्यो को कभी नही भूलते है।

उन्होंने कहा कि गुरुओ से मनुष्य को ज्ञान की प्राप्ति होती है और मनुष्य ऊंचाई पर पहुचने के बाद भी गुरु को याद रखता है। ऐसा सिर्फ इसलिए है क्योंकि गुरु निस्वार्थ भाव से विद्या का दान देते है। उसी प्रकार से परोपकार करने वालो की भावना गिनी जाती है। दान करने बाले जिस भाव से दान करेंगे उन्हें वही भाव से लाभ भी मिलेगा।

उन्होंने कहा कि स्वार्थ में आकर परोपकार के कार्य करने वालो को मोक्ष के मार्ग की प्राप्ति नही होती। किसी जरूरतमंद या भूखे व्यक्ति की मदद करने से लोगो को पीछे नही हटना चाहिए। लेकिन याद रहे कि परोपकार के समय लेने और देने वालो की भावना पवित्र होनी चाहिए। मन में गलत भावना रखकर किया गया दान भी गलत मार्गो पर ले जाने वाला होता है।

उन्होंने कहा कि गलत कार्यो में जो भी सहयोग देते है वे सभी पाप के भागीदार होते है। अगर व्यक्ति कहीं से गलत तरीके से धन कमा कर आता है और कई लोग मिल कर उसका इस्तेमाल करते है तो उस पाप का भागीदार वह व्यक्ति अकेले नहीं होता बल्कि सभी साथ में होते है। इसलिए पुण्य में साथ दे या न दें लेकिन पाप में भागीदारी नहीं निभानी चाहिए। संचालन मंत्री देवीचंद बरलोटा ने कीए।  

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