एएमकेएम में आठवें वार परिवार की हुई विवेचना
वारों में श्रेष्ठ वार है परिवार। यह शक्ति और आंतरिक ऊर्जा का केंद्र है। यह प्रत्येक कष्ट, समस्या का समाधान देने की क्षमता रखता है। भारतीय संस्कृति एवं जीवन पद्धति में परिवार का विशेष महत्व है। ये विचार एएमकेएम जैन मेमोरियल सेंटर में चातुर्मासार्थ विराजित श्रमण संघीय युवाचार्य महेंद्र ऋषिजी ने वारों की श्रृंखला में आठवें वार परिवार की विवेचना करते हुए कहे।
उन्होंने कहा प्रत्येक पहलू को उजागर करने की क्षमता सात वारों में हैं। सोमवार सौम्यता, मन को स्थिर करने वाला है। मंगलवार साहस देने वाला है। हमारी यात्रा, बुद्धि को विकसित करने वाला बुधवार है। भाग्य को चमकाने वाला, खुशियों का अंबार देने वाला गुरुवार और प्रेम देने वाला शुक्रवार है। दृढ़ होने की प्रेरणा देने वाला शनिवार और हमें जगाने वाला रविवार है। ये विशेष कार्य को सम्पन्न करने की क्षमता देते हैं।
युवाचार्य भगवंत ने कहा कि इन सबका सिरमौर एक वार परिवार है। परि यानी चारों ओर से रक्षा देने वाला, हमारा मजबूत रक्षा कवच। यह हमारे भाग्य को बढ़ाने वाला, हमारे ऊपर प्यार, प्रेम लुटाने वाला है। इस तरह कई चीजें इस एक में आ गई। आज विडम्बना यह है कि बाकी वार तो चल रहे हैं लेकिन परिवार टूट रहे हैं। न्यूक्लियर फैमिली ने कुटुम्ब व्यवस्था को तहस-नहस कर दिया है। जिन्होंने अपने परिवार से दूरी बना ली, उनसे ज्यादा दुर्भाग्यशाली कोई नहीं। ऐसे लोग जीवन में सर्वांगीण सुख नहीं पा सकते। परिवार को हम बोझ, रुकावट नहीं समझें। आज अहंकार, भौतिक सुख की लालसा के कारण परिवार में रहना सहज महसूस नहीं करते। पहले परिवार में वेरायटी होती थी। लोगों को रिश्तों के महत्व का अहसास था। परिवार वह हैं, ज़हां पीढ़ियों के बीच सांस्कृतिक व नैतिक मानदंडों को आगे बढ़ाया जाता है। जहां नोंक-झोंक, सपोर्ट भी होते है। यदि ऐसा परिवार आपको नहीं मिले तो दुनिया का वैभव व्यर्थ है।
उन्होंने कहा परिवार की मुख्य स्तंभ मां होती है। उस पर सारी चीजें निर्भर करती है कि वह कैसे परिवार को मेंटेन करती है और बाकी सदस्य कैसे सहयोग करते हैं। जिस परिवार में एक दूसरे का सम्मान किया जाता है, वह प्रसन्न परिवार होता है। जिस परिवार में सहनशीलता का गुण हों, वह परिवार कभी टूट नहीं सकता। आपसी प्रेम, समन्वय तभी आता है, जब वहां सहनशीलता है। आज परिवारों में आपसी सामंजस्यता खत्म हो चुकी है। जहां ब्लेम गेम शुरू हो गया, वह परिवार मानो टूट गया। परिवार के हर सदस्य को बिना बताए अपनी भूमिका का ज्ञान होना चाहिए।
उन्होंने कहा परिवार व्यक्ति को प्यार व सम्मान का अहसास कराता है। परिवार की खुशी में खुशी मनानी चाहिए। यदि परिवार को मजबूत रखना है तो सहनशीलता, सम्मान अति आवश्यक है। हम भाग्यशाली हैं कि हमें भारतीय संस्कृति, जैन कुल और जैन कुल के संस्कार मिले है। आज विडम्बना है कि परिवारों में बुजुर्गों, बच्चों की दुर्दशा हो रही है। परिवार के किसी भी सदस्य को बोझ समझने की ग़लती मत करना। परिवार में ही बच्चों का बौद्धिक विकास संभव है। यह परिवार धर्म साधना करने का शक्ति पुंज देगा।
मुनिश्री हितेंद्र ऋषिजी ने कहा कि शुक्रवार को चातुर्मास समापन दिवस है। ज्यादा से ज्यादा तप आराधना करने का लक्ष्य रखें। शनिवार को युवाचार्यश्री का विहार केएलपी अभिनंदन अपार्टमेंट की ओर होगा, जहां स्थानक का लोकार्पण होगा। इस दौरान महासंघ की ओर से अध्यक्ष सुरेश लुनावत एवं अन्य पदाधिकारियों ने चातुर्मास में सहयोग करने वाले विभिन्न महिला सेवा मंडलों एवं विभिन्न विहार सेवा समूहों का सम्मान किया। महासंघ के मंत्री धर्मीचंद सिंघवी ने कहा कि युवा वर्ग हमारे चातुर्मास के स्तंभ थे, हम उनका आभार प्रकट करते हैं। हमारा कर्तव्य बनता है कि हम उनका सम्मान करें। इस मौके पर जुगराज बोरुंदीया, देवीचंद बरलोटा, सुश्री कविता कोठारी ने अपने विचार रखे। राकेश विनायकिया ने सभा का संचालन किया।