चेन्नई. गुरुवार को उपाध्याय प्रवर प्रवीणऋषि एवं तीर्थेशऋषि महाराज ने नॉर्थ टाउन बिन्नी मिल में धर्मसभा को संबोधित करते हुए कहा कि अच्छे दिन सदैव अच्छे लोगों के पास ही रहते हैं। दिन न कभी अच्छा होता है न कभी बुरा, एकमात्र व्यक्ति स्वयं ही इसका कारण होता है। विजयादशमी का दिन राम के लिए अच्छा था लेकिन रावण के लिए बुरा। आप यदि राम बनोगे तो आपके लिए प्रत्येक दिन विजयादशमी होगा और रावण बनोगे तो पतले भी जलते देर नहीं लगती हैं। राम के समान इस तरह जीना कि रावण भी राम बनने के लिए तड़प जाए।
धर्मस्थान धर्म की शक्ति के पॉवर हाउस होते हैं, उनसे ऊर्जा प्राप्त करने वाले का जीवन सुधर जाता है। इनसे जुडऩे वाले के जीवन में कभी मानसिकता की ट्रेफिक जाम नहीं होती। पैसा देकर स्थानक की बिल्डिंग बनाई जा सकती है लेकिन पैसों से परिवार में धर्मसंस्कारों का निर्माण आपको स्वयं ही करना पड़ेगा। इसके लिए आप सभी को तय करना है, एक व्यवस्था और संघ का कैरेक्टर बनाना है कि दूसरे लोग भी देखकर आपके जैसा बनने को तड़प जाएं। खाना मस्ती से खाओगे तो बनाने वाले को भी आनन्द आएगा।
आज परिवार के हर सदस्य को धर्म स्थानों से जोडऩे की जरूरत है। धर्म–स्थान सूना रखने के लिए नहीं बनाए जाते हैं ये धर्म की आराधना के लिए बनाए जाते हैं। ऐसा कैरेक्टर और मॉडल बनाने की आज आवश्यकता है। अपने बिजनेस की गादी आप स्वयं साफ करते हैं, उसी प्रकार धर्म और गुरु की गादी इन स्थानक को आपको ही जाग्रत रखना होगा। यहां पर आने और जाने के समय नवकार मंत्र का उच्चारण अवश्य करें।
स्थानक में सबसे सकारामक वाइब्रेशन धर्मस्थान में होते हैं। यहां पर साधु–साध्वी और श्रावकजन धर्म क्रियाएं करते हैं। यहां प्रवचन, पोषध और संस्थारा के सकारात्मक वाइब्रेशन होते हैं। सभी से यह आग्रह है कि प्रतिदिन स्थानक में अपनी कार सेवा प्रदान करने की पंरपरा का पालन करना करे। आपको देखकर आपके बच्चों के कदम स्वत: धर्म के पथ पर बढ़ जाएंगे। वे जीवन में कभी भटक नहीं सकेंगे।
तीर्थेशऋषि महाराज ने कहा कि मनुष्य अपना जीवन हर पल व्यर्थ में गंवा रहा है, इसे धर्मकार्यों में लगाकर सार्थक बनाया जा सकता है। परमात्मा के धर्म का सिद्धांत अनेकांतवाद का है कि एक ही वस्तु में अनन्त संभावनाएं होती है। हम किसी को इंकार नहीं कर सकते। मैं जो कहता हंू वह सत्य है और आप जो कहें वह भी सत्य हो सकता है। जो व्यक्ति यह सोचता है कि मैं जो बोलता हंू वही सत्य है बाकी असत्य है, यह सोचना मिथ्यात्व है। जो व्यक्ति परमात्मा के वचनों को अपनाकर जीवन जीता है वह स्वयं परमात्मा और सिद्ध बनता है। अर्जुनमाली का जीवन ऐसा था कि परमात्मा के चरणों में आकर अर्जुन मुनि बन जाता है। हम लोगों ने जितना सुना है वही सत्य नहीं है इससे भी अधिक सत्य है।
नवनिर्मित स्थानक का उद्घाटन
30 नवम्बर को एएमकेएम मेमोरियल सेवा ट्रस्ट के तत्वावधान में एएमकेएम धर्म पेढ़ी द्वारा प्रथम नवनिर्मित स्थानक का उद्घाटन किया जाएगा। श्रमण संघ के प्रथम युवाचार्य मिश्रीमल ‘मधुकरÓ का ३५वां पुण्य स्मृति दिवस सुबह 9.15 बजे नार्थ टाउन (बिन्नी), चेन्नई में मनाया जाएगा। इस अवसर पर उपाध्याय प्रवर प्रवीण ऋषि, तीर्थेश ऋषि, उपप्रवर्तक विनयमुनि ‘वागीशÓ, गौतममुनि ‘गुणाकर, साध्वी धर्मप्रभा एवं साध्वी कुमुदलता का पावन सानिध्य रहेगा। यह जानकारी ट्रस्ट के पदाधिकारियों द्वारा दी गई।