राष्ट्र-संत चन्द्रप्रभ महाराज ने कहा कि परिवार इंसान का पहला मंदिर है, जहाँ बिताया हुआ हर पल, हर लम्हा हमें सुख का सुकून देता है। जन्म से लेकर जीवन की अंतिम घड़ी तक जो इंसान को प्रेम, पनाह और अपनेपन का अहसास देता है, परिवार उसी का नाम है। भगवान के मंदिर में तो हम आधा-एक घंटा ही रहते हैं, पर जिस घर-परिवार में हम 24 घंटे रहते हैं, यदि हम उसे भी मंदिर जैसा ही निर्मल रूप प्रदान कर दें तो घर भी हमारे लिए स्वर्ग हो जाएगा। उन्होंने कहा कि परिवार जीवन की पहली पाठशाला है। बाकी पाठशालाओं में तो केवल इतिहास-गणित-व्याकरण की शिक्षा मिलती है, पर परिवार में जीवन को कैसे जिया जाए, यह संस्कार मिलता है। एक अच्छे परिवार का मतलब है संसार का सबसे आदर्श महाविद्यालय।
संत चन्द्रप्रभ महाराज षनिवार को हनुमान रोड़ नगरपालिका के पास स्थित मानव कल्याण ट्रस्ट में हजारों श्रद्धालुओं को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि परिवार को अंग्रेजी में कहते हैं फैमिली का मतलब है फादर एण्ड मदर आई लव यू। जिस घर में माता-पिता से प्रेम और उनका सम्मान होता है, उसी का नाम परिवार है। उन्होंने कहा कि सप्ताह में सात वार होते हैं, पर दुनिया में एक आठवाँ वार और होता है, जिसका नाम है परिवार। यदि यह आठवाँ वार ठीक है तो सातों वार सुखदायी है। परिवार का गणित हमें समझाता है कि 5, 6, 7, 8, 9 भले ही कितने भी बड़े क्यों न हों, पर यदि वे आपस में झगड़ते रहेंगे तो उनकी कीमत कम ही होनी है और यदि मेल-जोल बनाकर रखेंगे तो 1 और 0 कम औकात के होने के बावजूद अपनी 10 गुना कीमत बना लेंगे।
भाई मिलकर रहें ताकत बढ़ जाएगी-उन्होंने कहा कि एक भाई के दो हाथ होते हैं और दूसरे भाई के दो हाथ। यदि हम आपस में टूटे रहेंगे तो हमारे दो हाथ भी कमजोर नजर आएँगे, पर आपस में प्रेम और समन्वय होगा तो दो भाई दो न होकर चारभुजा नाथ बन जाएँगे। कितना अच्छा हो कि हम दो भाइयों के बीच प्लस, माइनस करने की बजाय वैर-विरोध और स्वार्थ के सारे प्लस, माइनस हटा दें तो यही दो भाई 11 (ग्यारह) की ताकत बन जाएँगे। प्लीज! भाइयों से कड़वे वचन मत बोलिए। रावण कड़वा बोलकर अपने सगे भाई को दुत्कार बैठा, वहीं राम ने मीठा बोलकर दुश्मन के भाई को भी अपना बनाने में सफलता हासिल कर ली।
रिष्तों को तोड़ें नहीं निभाएं-संतश्री ने कहा कि अपने घर को सजाना सीखिए। कोई रूठ जाए तो उसे मनाना सीखिए। रिश्ते स्वर्ग से बनते हैं। उन्हें टूटने मत दीजिए, बल्कि उन्हें निभाना सीखिए। रिश्ते शीशे की तरह नाजुक होते हैं, एक झटका लगा कि टूटकर बिखर गए। फर्क केवल इतना है कि शीशा गलती से टूटता है और रिश्ता गलतफहमी से। अगर कोई रिश्ता आपको पसंद न भी हो, तब भी उसे तोडने की बेवकूफी मत कीजिए। गंदा पानी पीने के काम न आ पाए तो क्या हुआ, कम-से-कम आग बुझाने का काम तो उससे ले ही सकते हैं। परिवार में किसी से दुश्मनी मोल मत लीजिए। जन्मकुंडली में शनि, दिमाग में मनी और परिवार में दुश्मनी, तीनों ही कष्टदायी होते हैं।
इस अवसर पर आचार्य विवेकसागर जी महाराज ने सभा को संबोधित किया।
इससे पूर्व राष्ट्रसंत श्री ललितप्रभ जी, राष्ट्रसंत श्री चंद्रप्रभ जी और डाॅ. मुनि शांतिप्रिय सागर के वापी पहुंचने पर श्रद्धालुओं ने पलक पावड़े बिछाकर स्वागत किया। इस अवसर पर श्री राजस्थान मूर्तिपूजक जैन संघ द्वारा भैरू धाम स्थित सुपारसनाथ जिनालय से भव्य सामैया निकला जो मानव कल्याण ट्रस्ट पहुंचकर धर्मसभा में बदल गया। इस दौरान डाॅ. मुनि शांतिप्रिय सागर ने भजन और प्रार्थना का सामूहिक संगान करवाया।
कार्यक्रम में इस अवसर पर पारसमल बागरेचा, दिनेष सराफ, अमृतलाल बागरेचा, नंदलाल मेहता, रमेष सिंघवी, अषोक तातेड़ आदि अनेक गणमान्य लोग उपस्थित थे।
रविवार को अतुल में होगा प्रवचन-राष्ट्रसंतों का कल रविवार 9 दिसम्बर को सुबह 9 बजे अतुल के श्री वर्द्धमान जैन स्थानकवासी जैन श्रावक संघ, मुकुंद कंपनी के पीछे, कालिया स्कूल के सामने प्रवचन होगा।